आज शेयर बाजार क्यों टूटा? पाँच बड़े कारण, आँकड़े और आगे की राह

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why market is down today

1. बाज़ार का हाल: संख्या‐चित्रों में

12 जून 2025 (गुरुवार) को घरेलू इक्विटी बाज़ार में तेज़ बिकवाली देखने को मिली।

सूचकांकसमापन स्तरदैनिक गिरावटप्रतिशत परिवर्तन
BSE Sensex81,691.98−823.25−1.00 %
Nifty 5024,888.20−253.10−1.01 %
Nifty Midcap 10050,632.15−879.70−1.71 %
Nifty Smallcap 10016,947.40−330.45−1.91 %

दिन के भीतर सेंसेक्स एक समय 992 अंक तक फिसल गया था। निफ़्टी ने 24,800 के नीचे का निचला स्तर 24,776 भी छुआ। मिड-कैप और स्मॉल-कैप सूचकांकों में अपेक्षाकृत अधिक कमजोरी देखी गई, जिससे स्पष्ट है कि चौड़ी बिकवाली हुई।


2. पाँच प्रमुख कारण

2.1 वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका

अमेरिका ने चीन पर आयात शुल्क बढ़ाने का संकेत दिया है जबकि विस्तृत मसौदा अभी सार्वजनिक नहीं हुआ। इससे वैश्विक ट्रेड धारणा पर नकारात्मक असर पड़ा और जोखिम वाले उभरते बाज़ारों से पूँजी खिंचना शुरू हुई।

2.2 मध्य-पूर्व में बढ़ता तनाव

ईरान और अमेरिका के बीच टकराव की ख़बरों के बाद कच्चा तेल महँगा हुआ। भारत विश्व-स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है; कीमतों में तेज़ी घरेलू महँगाई और चालू खाते के घाटे दोनों को प्रभावित करती है, इसलिए निवेशक सतर्क दिखे।

2.3 ब्रेंट क्रूड में चार प्रतिशत उछाल

तेल की कीमतें 70 डॉलर्स प्रति बैरल के करीब पहुँच गयीं। इससे परिवहन, पेंट, केमिकल, एविएशन और एफएमसीजी जैसी कई लागत-संवेदी कम्पनियों के मार्जिन दबाव में आने की आशंका तेज हुई। बैंक और आईटी शेयरों पर भी नकारात्मक भावना फैल गयी क्योंकि ऊँचा तेल मूल्य रुपये को कमज़ोर करता है।

2.4 वायदा-विकल्प (F&O) की साप्ताहिक एक्सपायरी

निफ़्टी तथा स्टॉक्स पर फ्यूचर्स-ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट शुक्रवार को समाप्त हो रहे हैं। एक्सपायरी के पहले दिन आम तौर पर ट्रेडर्स शॉर्ट-कवरिंग या लॉन्ग-अनवाइंडिंग करते हैं; इस बार भारी लॉन्ग पोज़ीशन में कटौती देखी गई।

2.5 विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की बिकवाली

गुरुवार के सत्र में एफआईआई ने लगभग 450 करोड़ रुपये के इक्विटी का शुद्ध विक्रय किया। घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) की सीमित खरीद इस दबाव को पूरी तरह पाट नहीं सकी, नतीजतन सूचकांक लाल निशान में बंद हुए।


3. क्षेत्र-वार प्रदर्शन और ख़ास घटनाएँ

सेक्टरगिरावट (%)विशेष टिप्पणी
आईटी~1.0डॉलर-रुपया में उतार-चढ़ाव और वैश्विक क्लाउड खर्च में सुस्ती की आशंका
ऑटो~1.6ऊँचा कच्चा तेल, कमजोर उपभोक्ता मांग
मेटल~2.0चीन की स्टील डिमांड सॉफ्ट और अमेरिका टैरिफ चिंताएँ
बैंक~0.9क्रूड-इन्फ्लेशन रिस्क, बॉन्ड यील्ड में हल्की तेजी
फिनटेक/पेमेंट~10.0*पेमेंट सेवा शुल्क (MDR) पर पुनर्विचार की अटकलें; Paytm सबसे अधिक दबाव में

*Paytm में दिन भर में 10 % तक गिरावट दर्ज की गई। कंपनी का रेवेन्यू मॉडल मुख्यतः भुगतान संसाधन शुल्क पर निर्भर है; शुल्क-मुक्ति या सीमित शुल्क से मार्जिन प्रभावित हो सकते हैं।


4. विशेषज्ञों की टिप्पणी

  • वी.के. विजयकुमार (मुख्य निवेश रणनीतिकार, एक ब्रोकरेज फर्म)
    “टैरिफ़ की अनिश्चितता और तेल की कीमतों ने जोखिम उठाने की प्रवृत्ति दबा दी है। अल्प-काल में अस्थिरता जारी रह सकती है, परन्तु दीर्घ-कालिक निवेशक हर गिरावट को खरीदारी का अवसर मान सकते हैं।”
  • आदित्य गग्गर (प्रोग्रेसिव शेयर ब्रोकर्स)
    “दैनिक चार्ट पर निफ़्टी में 25,100–25,250 क्षेत्र के ऊपर मज़बूती नहीं बनी तो अगले सप्ताह 24,600 तक सपोर्ट देखना होगा। बैंक निफ़्टी 55,000 के ऊपर टिक कर ही पलटाव दिखा सकता है।”
  • नीलम शर्मा (फंड मैनेजर, मिड-कैप फंड)
    “मिड-कैप में 2024-25 के दौरान तेज़ रैली के बाद स्वाभाविक ठहराव था। इस करेक्शन को स्वास्थ्यकर माना जाना चाहिए बशर्ते कंपनी मूलभूत रूप से मजबूत हो।”

5. अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य

  • अमेरिकी बाजार: डाउ जोंस फ्यूचर्स में आधा प्रतिशत से अधिक गिरावट सुबह ही दिख गयी थी। निवेशकों की नज़र महँगाई आँकड़ों और फेडरल रिज़र्व की अगली बैठक पर है।
  • यूरोपीय बाज़ार: जर्मनी का डैक्स तथा फ्रांस का कैक-40 मिश्रित रुख़ के साथ खुले परन्तु मध्य सत्र तक लाल निशान में आ गये।
  • एशियाई बाज़ार: हांगकांग का हैंग-सेंग और जापान का निक्केई दोनों कमजोर रहे।

तेज़ी के इनसाइट्स दर्शाते हैं कि निवेशकों ने ‘रिस्क-ऑफ़’ मोड अपनाया है, जिससे उभरते बाज़ारों से पूँजी निकासी बढ़ी।


6. तकनीकी विश्लेषण पर एक नज़र

सूचकांकमहत्वपूर्ण समर्थननिकटतम प्रतिरोधसंकेत
Nifty 5024,780-24,80025,250-25,300समर्थन टूटे तो और गिरावट; प्रतिरोध पार हो तो पलटाव
Sensex81,30082,500समान पैटर्न
Bank Nifty54,80055,800वोल्यूम आधारित ट्रेंड पलटाव पर नज़र

दैनिक चार्ट पर रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI) 42-45 क्षेत्र में फिसल गया है, जो ओवरसोल्ड क्षेत्र से थोड़ा ऊपर लेकिन कमजोरी का संकेत देता है।


7. उभरते जोखिम और अवसर

  1. तेल कीमतों का ट्रेंड: यदि ब्रेंट 72–75 डॉलर की ओर बढ़ता है, तो मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, जिससे अगले एमपीसी (RBI) निर्णय पर कड़ा रुख़ संभव है।
  2. फेड की दर नीति: अमेरिकी ब्याज दर अपेक्षा से अधिक समय तक ऊँची रखी गई तो ईएम में पूँजी प्रवाह सुस्त रह सकता है।
  3. घरेलू नीतिगत पहल: सरकार की आगामी बजट पूर्व घोषणाएँ—विशेषकर उत्पादन-संlinked प्रोत्साहन या आयकर संरचना—बाज़ार भावनाएँ बदल सकती हैं।
  4. मॉनसून प्रगति: प्रारंभिक अनुमान सामान्य वर्षा के हैं, परंतु यदि देरी हुई या वितरण असमान रहा तो एफएमसीजी और ऑटो सेक्टर पर दबाव रह सकता है।

8. निवेशकों के लिए रणनीतिक सुझाव

  • विविधीकरण: पोर्टफ़ोलियो में IT, फार्मा, बैंकिंग, कंज्यूमर स्टेपल, और कुछ गुणवत्ता वाली मेटल कंपनियाँ संतुलित मात्रा में रखें।
  • क्लेश प्वाइंट पहचानें: जिन कंपनियों पर तेल-कीमत अथवा नियामक परिवर्तनों का सीधा असर पड़ता है, उनमें कम एक्सपोज़र रखें।
  • कैश रिज़र्व: करेक्शन के बीच चरणबद्ध खरीदारी के लिए 10–15 % कैश बनाए रखें।
  • लॉन्ग टर्म फ़ोकस: लॉन्ग-टर्म SIP और इंडेक्स फंड में निवेश जारी रखें; तात्कालिक उतार-चढ़ाव से भावनात्मक निर्णय न लें।
  • स्टॉप-लॉस का पालन: ट्रेडर्स को निफ़्टी के निकटतम सपोर्ट स्तरों के अनुसार कड़ा स्टॉप-लॉस लगाना उचित रहेगा।

9. आगे क्या?

यदि अगले कुछ दिनों में वैश्विक व्यापार मोर्चे पर सकारात्मक बयानबाज़ी या तेल-कीमतों में ठहराव दिखता है, तो बाजार 25,200–25,500 की ओर पलट सकता है। विपरीत परिस्थिति में 24,600 एवं 24,350 दो महत्त्वपूर्ण दीर्घकालिक समर्थन बिंदु हैं। घरेलू कंपनियों के अप्रैल-जून तिमाही नतीजे जुलाई-अगस्त में आएँगे; इससे सेक्टर-विशिष्ट रुझान स्पष्ट होंगे।

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🔔 निष्कर्ष

आज की गिरावट बहु-आयामी कारणों का परिणाम है—वैश्विक व्यापार तनाव, मध्य-पूर्व भू-राजनीतिक अस्थिरता, कच्चे तेल का उछाल, एफआईआई बिकवाली और वायदा-विकल्प एक्सपायरी से जुड़ी तकनीकी हलचल। अल्प-कालीन उतार-चढ़ाव के बीच दीर्घ-कालिक निवेशकों के लिए बुनियादी रूप से मज़बूत कंपनियों में चरणबद्ध निवेश की रणनीति उपयोगी रह सकती है। हालांकि जोखिम बने हुए हैं, लेकिन भारत की दीर्घ-कालिक विकास कहानी अडिग है; विवेकपूर्ण पोर्टफ़ोलियो प्रबंधन के साथ अवसरों का फ़ायदा उठाया जा सकता है।

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