सितारे ज़मीन पर रिव्यू: धरती पर ढेर रही आमिर खान की फिल्म, साबित हुई सुपर फ्लॉप, पब्लिक ने किया खारिज

आमिर खान की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘सितारे ज़मीन पर’ ने दर्शकों को जितनी उम्मीदें दी थीं, उतनी ही बड़ी निराशा हाथ लगी। फिल्म के ट्रेलर लॉन्च से लेकर प्रमोशन तक, इसे एक इमोशनल और प्रेरणादायक कहानी के रूप में पेश किया गया था, लेकिन जब फिल्म सिनेमाघरों में पहुंची, तो पब्लिक का रिएक्शन एकदम उल्टा था।
फिल्म का प्लॉट न तो दर्शकों को बांध पाया और न ही इसमें कोई ऐसी भावनात्मक गहराई थी जो आमिर खान की पिछली फिल्मों की तरह दिल छू सके। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर इसे बोरिंग, खींची हुई और बिना उद्देश्य की कहानी बताया। खासकर दर्शकों ने यह कहा कि फिल्म में नयापन नहीं था और यह एक घिसी-पिटी स्क्रिप्ट पर बनी थी।
थिएटरों में भी फिल्म को बहुत ठंडा रिस्पॉन्स मिला। ओपनिंग डे पर ही कई मल्टीप्लेक्स में सीटें खाली रहीं, और दूसरे दिन से ही कई जगह इसके शोज़ कैंसिल होने लगे। बॉक्स ऑफिस कलेक्शन भी बेहद कमजोर रहा, जिससे यह साफ हो गया कि फिल्म आमिर खान के नाम के बावजूद दर्शकों को खींचने में असफल रही।
कुल मिलाकर, ‘सितारे ज़मीन पर’ एक ऐसी फिल्म साबित हुई जिसने आसमान छूने का सपना देखा, लेकिन धरती पर आकर बिखर गई। यह आमिर खान के करियर के लिए एक और बड़ा झटका है, खासकर ‘लाल सिंह चड्ढा’ के बाद। आलोचकों और दर्शकों दोनों ने इसे साफ तौर पर खारिज कर दिया है।
1. ओपनिंग डे पर निराशाजनक कलेक्शन – थिएटर रहे खाली
आमिर खान की फिल्म ‘सितारे ज़मीन पर’ को लेकर जितना उत्साह सोशल मीडिया और मीडिया में बनाया गया था, उसका असर बॉक्स ऑफिस पर नजर नहीं आया। फिल्म के पहले दिन का कलेक्शन बेहद कमजोर रहा, जो आमिर जैसे सुपरस्टार के लिए चौंकाने वाला था। देश के बड़े शहरों से लेकर छोटे शहरों तक, ज्यादातर थिएटरों में सीटें खाली रहीं।
फिल्म को उम्मीद थी कि पहले दिन कम से कम ₹10-15 करोड़ की ओपनिंग मिलेगी, लेकिन शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक इसका कलेक्शन ₹3-4 करोड़ तक सिमट गया। दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे मेट्रो सिटीज़ में भी इसका प्रदर्शन बेहद ठंडा रहा।
शो के समय दर्शकों की संख्या इतनी कम थी कि कई जगह सिंगल स्क्रीन थियेटर्स ने शोज़ कैंसिल कर दिए। सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स ने थिएटर हॉल की तस्वीरें शेयर कीं, जिसमें महज 5-10 लोग ही बैठे हुए थे।
फिल्म क्रिटिक्स का मानना है कि न तो कहानी में दम था और न ही कोई ऐसा तत्व जो लोगों को टिकट खिड़की तक खींच सके। आमिर खान की फिल्में आम तौर पर पहले दिन से ही जोर पकड़ती हैं, लेकिन इस बार न तो क्रिटिकल रिस्पॉन्स मिला और न ही वर्ड ऑफ माउथ।
2. आमिर खान की वापसी का असर नहीं दिखा, दर्शकों ने किया नकार
लंबे समय बाद आमिर खान बड़े पर्दे पर ‘सितारे ज़मीन पर’ के ज़रिए लौटे थे। उनके फैंस को उम्मीद थी कि यह फिल्म उनकी पिछली असफलता ‘लाल सिंह चड्ढा’ को पीछे छोड़ देगी। लेकिन दर्शकों ने आमिर की इस वापसी को खास तवज्जो नहीं दी।
आमिर खान ने इस फिल्म में भावनात्मक अपील लाने की कोशिश की, लेकिन कहानी और प्रस्तुति इतनी कमजोर थी कि दर्शक जुड़ ही नहीं पाए। उनके अभिनय में वही पुराना अंदाज़ था, जो अब शायद दर्शकों के लिए थका हुआ महसूस हुआ।
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने यह तक कहा कि अब आमिर खान की फिल्मों में पहले जैसा क्रेज़ नहीं रहा। युवा दर्शकों का ध्यान अब नई सोच और नयापन चाहता है, जो इस फिल्म में नदारद था।
कुल मिलाकर, आमिर की वापसी ज़ोरदार होने की बजाय फीकी साबित हुई और यह साफ हो गया कि केवल स्टार पावर अब फिल्मों को हिट नहीं बना सकती। आज का दर्शक कंटेंट पर ध्यान देता है और ‘सितारे ज़मीन पर’ इस कसौटी पर पूरी तरह फेल रही।
3. पब्लिक रिएक्शन: ‘भावनात्मक नहीं, बोरिंग लगी फिल्म’

फिल्म देखने के बाद अधिकतर दर्शकों की प्रतिक्रिया एक जैसी रही – “फिल्म बहुत बोरिंग थी।” कई लोगों ने कहा कि यह एक इमोशनल जर्नी दिखाने की कोशिश करती है, लेकिन उसमें गहराई और असली भावना की कमी थी।
फिल्म की स्क्रिप्ट कमजोर थी और कहानी पहले से ही अनुमानित लग रही थी। दर्शकों ने शिकायत की कि फिल्म में ऐसा कुछ नया नहीं था जो उन्हें स्क्रीन से बांधे रखे। न बच्चों के लिए आकर्षण था, न बड़ों के लिए संदेश।
यूट्यूब पर आए पब्लिक रिव्यू में भी 80% से ज़्यादा लोगों ने फिल्म को औसत या उससे नीचे रेट किया। बहुत से दर्शकों ने थिएटर से निकलते ही कैमरे पर साफ कहा – “समय और पैसा बर्बाद हुआ।”
कई लोगों ने इसे भावनात्मक रूप से नकली और ड्रामेटिक बताया, जो ज़बरदस्ती आंसू खींचने की कोशिश करती है लेकिन असर नहीं छोड़ती। कुल मिलाकर, जनता का रिएक्शन साफ था – यह फिल्म उनके दिल को नहीं छू सकी।
4. सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ – ‘सितारे नहीं, साए दिखे’

जहां फिल्म पब्लिक और बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई, वहीं सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ मीम्स और ट्रोलिंग की बाढ़ आ गई। ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर यूज़र्स ने फिल्म के नाम का मज़ाक उड़ाते हुए कहा, “सितारे ज़मीन पर नहीं, अब तो करियर ज़मीन पर आ गया।”
मीम पेज़ों ने फिल्म के भावुक सीन का मज़ाक उड़ाते हुए मजेदार कैप्शन और GIF पोस्ट किए। खासकर आमिर खान के चेहरे के ओवरएक्टिंग वाले भाव सोशल मीडिया पर वायरल हो गए।
ट्विटर पर #SitareZameenParFlop ट्रेंड करने लगा, और कई यूज़र्स ने फिल्म की तुलना आमिर की अन्य फ्लॉप फिल्मों से की। एक यूज़र ने लिखा, “सितारे तो बहुत दूर की बात है, इस फिल्म में तो प्लॉट भी गायब था।”
इन मीम्स ने फिल्म की छवि को और नुकसान पहुंचाया, क्योंकि आजकल की युवा ऑडियंस सोशल मीडिया की धारणा से काफी प्रभावित होती है। फिल्म की ऑनलाइन ट्रोलिंग ने थिएटर में दर्शकों की संख्या को और घटा दिया।
5. कहानी में दम नहीं, स्क्रिप्ट ने किया सबसे बड़ा धोखा
‘सितारे ज़मीन पर’ की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी स्क्रिप्ट रही। फिल्म एक संवेदनशील विषय को छूने की कोशिश करती है, लेकिन कहानी में कोई पकड़ नहीं थी। हर सीन में यह महसूस होता है कि ज़बरदस्ती इमोशन पैदा किया जा रहा है, जबकि दर्शक अब वास्तविकता से जुड़ी कहानियां देखना पसंद करते हैं।
फिल्म की राइटिंग में नयापन नहीं था। कई डायलॉग ऐसे थे जो प्रेरणा देने के बजाय उपदेश जैसे लगते थे। कहानी की गति बेहद धीमी थी, जिससे दर्शकों का ध्यान बार-बार भटकता रहा।
कई बार फिल्म एक दिशा पकड़ती है और फिर बिना किसी उद्देश्य के दूसरी तरफ मुड़ जाती है, जिससे दर्शक भ्रमित हो जाते हैं। अंत में फिल्म ऐसा प्रभाव छोड़ने में असफल रही, जो लंबे समय तक याद रह सके।
स्क्रिप्ट के कमजोर होने के कारण न अच्छे कलाकारों का अभिनय काम आया और न ही किसी तकनीकी पहलू ने फिल्म को बचा पाया। यह एक मिस्ड अपॉर्च्युनिटी साबित हुई।
6. क्रिटिक्स का भी मिला ठंडा रिस्पॉन्स – रेटिंग्स रहीं बेहद कम
जहां दर्शकों ने फिल्म को नकार दिया, वहीं फिल्म समीक्षकों (क्रिटिक्स) ने भी ‘सितारे ज़मीन पर’ को खास पसंद नहीं किया। लगभग सभी प्रमुख मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे कि NDTV, Times of India, Firstpost, और The Hindu ने इसे 2 स्टार से नीचे की रेटिंग दी।
कई समीक्षकों ने लिखा कि फिल्म का इमोशनल एंगल बनावटी लगता है और आमिर खान का अभिनय दोहराव भरा है। उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म सामाजिक संदेश देने की कोशिश तो करती है, लेकिन स्क्रिप्ट इतनी कमज़ोर है कि वो संदेश दर्शकों तक पहुंच ही नहीं पाता।
Rotten Tomatoes और IMDb जैसी अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट्स पर भी फिल्म की रेटिंग बेहद कम रही। IMDb पर जहां आमिर की अधिकतर फिल्मों को 7 से ऊपर की रेटिंग मिलती है, वहीं ‘सितारे ज़मीन पर’ को सिर्फ 4.8 की रेटिंग मिली — जो साफ इशारा करती है कि यह फिल्म दर्शकों और समीक्षकों दोनों की कसौटी पर खरी नहीं उतरी।
कुल मिलाकर, क्रिटिक्स का ठंडा रिस्पॉन्स फिल्म के लिए आखिरी कील साबित हुआ।
7. परिवार और बच्चों के लिए बनी फिल्म, लेकिन कनेक्ट नहीं कर पाई
‘सितारे ज़मीन पर’ को एक पारिवारिक और बच्चों के लिए प्रेरणादायक फिल्म की तरह प्रमोट किया गया था। ट्रेलर में दर्शाया गया था कि फिल्म में बच्चों की मानसिकता, समाज की उम्मीदों और शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए गए हैं। लेकिन यह सारी कोशिशें अधूरी रहीं।
फिल्म में बच्चों से जुड़ी कहानियों को जिस तरह पेश किया गया, वह या तो ज़्यादा मेलोड्रामेटिक था या फिर पूरी तरह अवास्तविक। बच्चे और माता-पिता दोनों ही फिल्म से कनेक्ट नहीं कर पाए।
स्कूलों, पेरेंटिंग, और टीचिंग जैसे विषयों पर अगर गहराई से रिसर्च की जाती और कहानी को सादगी से दिखाया जाता, तो शायद दर्शकों का दिल जीतने में कामयाबी मिलती। लेकिन फिल्म ज़्यादा ‘बोलने’ में लगी रही और ‘दिखाने’ में पीछे रह गई।
इस वजह से बच्चों और फैमिली ऑडियंस के बीच भी फिल्म पकड़ नहीं बना सकी।
8. म्यूजिक भी नहीं बना सहारा – गाने रहे फीके और भूले-बिसरे
आमिर खान की फिल्मों में म्यूजिक अक्सर मजबूत पक्ष रहा है, लेकिन ‘सितारे ज़मीन पर’ इस मामले में भी बेहद कमजोर साबित हुई। फिल्म के गाने न तो लोगों की जुबां पर चढ़े और न ही सोशल मीडिया पर वायरल हो पाए।
गानों की धुन साधारण थी, और बोलों में वो भावनात्मक गहराई नहीं थी जो कहानी के साथ मेल खा सके। न ही कोई गाना ऐसा था जो थिएटर से निकलने के बाद लोगों को याद रहे।
प्लेबैक सिंगर्स की कोशिशों के बावजूद गाने बेरंग लगे। म्यूजिक लॉन्च के समय थोड़ा बहुत हाइप बना था, लेकिन रिलीज़ के बाद सब कुछ शांत हो गया।
यही वजह रही कि फिल्म के गानों ने फिल्म को कोई भी मजबूती नहीं दी और यह एक और कमजोर पहलू बनकर उभरा।
9. पहले हफ्ते में ही शो कैंसिल, कई शहरों में थियेटर बदले फिल्म
‘सितारे ज़मीन पर’ की सबसे बड़ी हार तब नजर आई जब फिल्म के पहले हफ्ते में ही कई सिनेमाघरों ने इसके शोज़ कैंसिल कर दिए। दिल्ली, पटना, भोपाल, जयपुर जैसे शहरों से रिपोर्ट आई कि 5 या उससे कम दर्शकों के चलते शो रद्द करने पड़े।
सिंगल स्क्रीन थिएटरों में इस फिल्म को दर्शक ही नहीं मिले। कई मल्टीप्लेक्स में इसे फ्लॉप मानते हुए दूसरे ही हफ्ते में ‘ब्लॉकबस्टर री-रिलीज़’ या नई फिल्मों से बदल दिया गया।
बॉक्स ऑफिस पर लगातार गिरते कलेक्शन के चलते डिस्ट्रीब्यूटर्स को भी नुकसान उठाना पड़ा। कुछ ने सोशल मीडिया पर इस फैसले को ‘प्रॉफ़ेशनल लॉस कंट्रोल’ बताया।
शो कैंसिल होना किसी भी फिल्म के लिए बड़ा झटका होता है, और ‘सितारे ज़मीन पर’ के साथ यही हुआ।
10. ‘लाल सिंह चड्ढा’ के बाद फिर एक झटका – आमिर के करियर पर सवाल
‘लाल सिंह चड्ढा’ की असफलता के बाद माना जा रहा था कि आमिर खान वापसी करेंगे और एक दमदार कहानी के साथ दर्शकों का दिल जीत लेंगे। लेकिन ‘सितारे ज़मीन पर’ ने उनके करियर में एक और नकारात्मक अध्याय जोड़ दिया।
ये भी पढ़े- करिश्मा कपूर ने बेटे कियान को संभाला जो पिता संजय कपूर के अंतिम संस्कार में भावुक होकर रो पड़े
लगातार दो फ्लॉप फिल्मों ने आमिर की स्टार वैल्यू पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां शाहरुख खान और सलमान खान हिट फिल्में देकर वापसी कर चुके हैं, वहीं आमिर खान अभी तक खुद को दोबारा साबित नहीं कर पाए हैं।
फ़िल्म इंडस्ट्री में चर्चा है कि आमिर अब स्क्रिप्ट चयन को लेकर अधिक सतर्क रहेंगे। कुछ लोगों का कहना है कि उनका समय अब बीत चुका है और नई पीढ़ी के सितारे उन्हें पीछे छोड़ते जा रहे हैं।
कुल मिलाकर, ‘सितारे ज़मीन पर’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि आमिर खान की प्रतिष्ठा के लिए एक गंभीर चेतावनी बनकर सामने आई है।