अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025: जानिए योग कैसे बदल रहा है दुनिया को – इतिहास, महत्व, और आधुनिक जीवन में भूमिका

हर साल 21 जून को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। यह केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को संतुलित करने का मार्ग दिखाता है। 2025 में यह दिन और भी खास है क्योंकि दुनिया अब पहले से कहीं ज्यादा स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो गई है और योग एक जीवनशैली के रूप में लोगों के जीवन में गहराई से समाहित हो चुका है।
इस दिवस की शुरुआत वर्ष 2014 में हुई, जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसका प्रस्ताव रखा और इसे अभूतपूर्व समर्थन मिला। 21 जून को इसलिए चुना गया क्योंकि यह उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी इसका विशेष महत्व है।
आज योग केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि अमेरिका, यूरोप, जापान, और खाड़ी देशों सहित 190 से अधिक देशों में लोग इसे अपने जीवन का हिस्सा बना चुके हैं। योग अब केवल एक शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि तनाव मुक्त जीवन, ध्यान, और आंतरिक शांति का माध्यम बन गया है। तकनीक के बढ़ते युग में भी योग ने डिजिटल रूप से खुद को ढाला है—फिटनेस ऐप्स, वर्चुअल योग क्लासेज़, और ऑनलाइन मैराथन जैसे नवाचार इसके प्रमाण हैं।
2025 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का संदेश यही है कि योग केवल शरीर नहीं, समाज और सभ्यता के स्वास्थ्य का भी प्रतीक है। यह दुनिया को जोड़ने वाला एक शांतिपूर्ण माध्यम है, जो शांति, सामंजस्य और सशक्तिकरण की भावना को बढ़ावा देता है।
🔸1. योग दिवस की शुरुआत कब और कैसे हुई?
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत एक ऐतिहासिक पहल के रूप में हुई, जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में योग के महत्व को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने भाषण में कहा, “योग भारत की प्राचीन परंपरा का अमूल्य उपहार है। यह मन और शरीर, विचार और कर्म, संयम और पूर्ति के बीच सामंजस्य का प्रतीक है।” प्रधानमंत्री मोदी के इस प्रस्ताव को महज़ 3 महीने में ही 177 देशों का समर्थन मिला, जो संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में अब तक के सबसे तेज़ी से पारित प्रस्तावों में से एक था।
इसके बाद 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को “International Day of Yoga” के रूप में मान्यता दी। पहली बार 21 जून 2015 को पूरी दुनिया में इस दिन को बड़े उत्साह से मनाया गया। दिल्ली के राजपथ पर 35,000 से अधिक लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ योग किया, और यह कार्यक्रम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हुआ।
इस पहल का उद्देश्य सिर्फ योग का प्रचार-प्रसार करना नहीं था, बल्कि लोगों को तनावमुक्त, स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने के लिए प्रेरित करना भी था। आज योग दिवस एक वैश्विक जनआंदोलन बन चुका है, जिसमें हर उम्र, जाति और देश के लोग समान रूप से भाग लेते हैं।
🔸2. 21 जून ही क्यों चुना गया योग दिवस के लिए?
जब अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया, तो यह सवाल स्वाभाविक रूप से उठा कि 21 जून की तारीख ही क्यों चुनी गई? इसके पीछे कई गहरे और वैज्ञानिक कारण हैं। सबसे पहला कारण यह है कि 21 जून उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) में वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है, जिसे ‘ग्रीष्म विषुव’ (Summer Solstice) कहा जाता है। इस दिन सूर्य सबसे अधिक समय तक धरती पर रहता है, जिससे यह दिन ऊर्जा, प्रकाश और सकारात्मकता का प्रतीक बन जाता है।
योग एक ऐसी प्रणाली है जो सूर्य, चंद्रमा और प्रकृति के चक्रों से गहराई से जुड़ी है। भारत के योग परंपरा में माना जाता है कि इस दिन से सूर्य दक्षिणायन की ओर बढ़ता है, यानी आध्यात्मिक साधना के लिए यह एक शुभ काल का आरंभ होता है। योग परंपरा के अनुसार, इसी काल में भगवान शिव ने अपने पहले सात शिष्यों (सप्तऋषियों) को योग का ज्ञान देना शुरू किया था, जिससे वह पहले योगी (आदि योगी) के रूप में प्रतिष्ठित हुए।
इसके अतिरिक्त, 21 जून का दिन विश्व भर में जलवायु परिवर्तन, मानसिक स्वास्थ्य और सामूहिक चेतना की दृष्टि से भी जागरूकता फैलाने के लिए उपयुक्त माना गया। यह दिन प्राकृतिक संतुलन और आत्मचिंतन का भी संदेश देता है। इसलिए यह सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि योग के मूल सिद्धांतों का प्रतीक है।
इस प्रकार, 21 जून को योग दिवस के रूप में चुनना एक वैज्ञानिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत उपयुक्त निर्णय था।
🔸3. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योग आंदोलन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का योग के वैश्विक प्रचार में अभूतपूर्व योगदान रहा है। 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में उनके द्वारा योग दिवस का प्रस्ताव रखना केवल एक कूटनीतिक कदम नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास था। उन्होंने योग को केवल शारीरिक कसरत के रूप में नहीं, बल्कि मानसिक शांति और वैश्विक एकता का साधन बताया।
उनकी पहल पर पहली बार 21 जून 2015 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर नई दिल्ली के राजपथ पर एक भव्य आयोजन हुआ, जिसमें लगभग 35,000 लोगों ने सामूहिक रूप से योगाभ्यास किया। यह आयोजन गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ और एक नई परंपरा की शुरुआत हुई। तब से हर साल भारत सरकार विभिन्न राज्यों और शहरों में बड़े स्तर पर योग कार्यक्रम आयोजित करती है, जिनमें स्वयं प्रधानमंत्री मोदी भाग लेते हैं।
मोदी सरकार ने योग को स्कूली शिक्षा का हिस्सा बनाने, योग सर्टिफिकेशन कोर्स, और आयुष मंत्रालय की स्थापना जैसे कदमों से देशभर में योग के विकास को गति दी। उन्होंने योग को एक समावेशी आंदोलन के रूप में प्रस्तुत किया, जिसमें हर धर्म, जाति और उम्र का व्यक्ति जुड़ सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी का यह विश्वास रहा है कि “योग मानवता को जोड़ने की शक्ति है” और इसी सोच ने योग को भारत से निकालकर एक वैश्विक जीवनशैली बना दिया है।
🔸 4. संयुक्त राष्ट्र महासभा की भूमिका
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की घोषणा में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है। 11 दिसंबर 2014 को UNGA में भारत द्वारा प्रस्तावित यह संकल्प बहुमत से पारित हुआ। यह संकल्प केवल 3 महीनों में पारित हो गया, जो संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में सबसे तेज़ी से स्वीकृत प्रस्तावों में से एक है। इस प्रस्ताव को 177 देशों का समर्थन मिला, जिसमें अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस जैसे बड़े देशों सहित मुस्लिम देशों ने भी सहमति जताई।
संयुक्त राष्ट्र ने इसे स्वीकार करते हुए कहा कि योग शारीरिक गतिविधि के साथ-साथ स्वास्थ्य और भलाई (Well-being) के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रभावशाली माध्यम है। 21 जून को योग दिवस मनाना वैश्विक समुदाय को शांति, सह-अस्तित्व और सामूहिक चेतना की ओर अग्रसर करने वाला कदम माना गया।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की स्वीकृति के बाद, WHO, UNESCO और UNICEF जैसे कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी योग के महत्व को प्रचारित करना शुरू किया। विशेष रूप से महामारी के दौरान, WHO ने योग को मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने का प्रमुख उपाय बताया।
UN के महासचिवों ने समय-समय पर योग दिवस पर संदेश जारी कर, इसके महत्व को रेखांकित किया। इन प्रयासों ने योग को भारत की सीमा से निकालकर एक वैश्विक सांस्कृतिक प्रतीक बना दिया। आज UNGA के निर्णय का परिणाम यह है कि दुनियाभर के लोग 21 जून को संयुक्त रूप से योग के माध्यम से जुड़ते हैं और एक स्वस्थ भविष्य की ओर बढ़ते हैं।
🔸 5. योग क्या है? सिर्फ आसन नहीं, जीवन जीने की कला
अक्सर लोग योग को केवल शारीरिक आसनों (postures) तक सीमित समझते हैं, लेकिन असल में योग एक जीवनशैली है, एक दर्शन है, जो आत्मा, मन और शरीर को संतुलन में रखता है। योग शब्द ‘युज’ धातु से बना है, जिसका अर्थ है जोड़ना—यानी आत्मा का परमात्मा से मिलन।
पतंजलि के योगसूत्र में योग को “योग: चित्तवृत्ति निरोधः” कहा गया है, जिसका अर्थ है मन की चंचलता को रोकना। यह बताता है कि योग का अंतिम उद्देश्य केवल शरीर को लचीला बनाना नहीं, बल्कि मानसिक स्थिरता और आत्मिक जागृति पाना है।
योग में प्रमुख आठ अंग होते हैं जिन्हें ‘अष्टांग योग’ कहते हैं—यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। ये सभी मिलकर जीवन को संयमित, सुसंस्कृत और संतुलित बनाते हैं।
आज के तेज़ रफ्तार जीवन में योग तनाव को कम करता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, मानसिक स्पष्टता लाता है और जीवन में सच्ची शांति प्रदान करता है। यह हमारी आंतरिक ऊर्जा को जाग्रत करने का माध्यम है। योग एक धर्म नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पद्धति है जो हर व्यक्ति के लिए लाभकारी है।
इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि योग केवल एक एक्सरसाइज़ नहीं, बल्कि एक सम्पूर्ण जीवन जीने की कला है, जो हर युग और परिस्थिति में प्रासंगिक है।
🔸 6. योग के प्रमुख प्रकार: हठ योग, अष्टांग योग, कुंडलिनी योग
योग की परंपरा में कई प्रकार हैं, जिनमें से प्रत्येक का उद्देश्य मन, शरीर और आत्मा के बीच सामंजस्य स्थापित करना है। सबसे प्रचलित प्रकार हैं—हठ योग, अष्टांग योग, और कुंडलिनी योग।
हठ योग सबसे पुराना और स्थिर योग मार्ग माना जाता है। इसमें शरीर को स्थिर, संतुलित और लचीला बनाने के लिए विभिन्न आसनों और प्राणायाम का अभ्यास किया जाता है। यह योग विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो धीरे-धीरे अपने शरीर और मन पर नियंत्रण पाना चाहते हैं।
अष्टांग योग, जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है, आठ अंगों पर आधारित होता है—यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। इसे आधुनिक योग गुरुओं जैसे कि श्री पट्टाभि जोइस ने पश्चिमी दुनिया में लोकप्रिय बनाया। इसमें गति और सांस का तालमेल होता है।
कुंडलिनी योग आंतरिक ऊर्जा को जाग्रत करने पर केंद्रित होता है। इसमें चक्रों, मंत्रों, मुद्रा और ध्यान का समन्वय होता है। यह मानसिक शक्ति और आध्यात्मिक विकास के लिए विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है।
इनके अलावा भक्ति योग, ज्ञान योग, कर्म योग जैसे मार्ग भी हैं, जो व्यक्ति की मानसिकता और लक्ष्य के अनुसार चुने जाते हैं। योग के ये विभिन्न प्रकार दर्शाते हैं कि यह प्रणाली कितनी लचीली और सर्वसमावेशी है।
🔸 7. योग और आयुर्वेद का संबंध
योग और आयुर्वेद दोनों ही भारत की प्राचीन जीवनशैली और चिकित्सा पद्धति का हिस्सा हैं। ये दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं और व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को संतुलित करने का कार्य करते हैं। जहाँ योग शरीर और मन की शुद्धि पर केंद्रित होता है, वहीं आयुर्वेद शरीर के त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) के संतुलन को बनाए रखने पर ध्यान देता है।
आयुर्वेद मानता है कि हर व्यक्ति का शरीर एक विशेष प्रकृति (दोष) पर आधारित होता है और उसी के अनुसार उसे जीवनशैली, खानपान और योगासन अपनाने चाहिए। उदाहरण के लिए, वात प्रकृति वालों के लिए शांत और स्थिर योगासन, पित्त वालों के लिए शीतल अभ्यास और कफ वालों के लिए ऊर्जावान आसन सुझाए जाते हैं।
योग प्राण और चित्त को नियंत्रित करता है, जबकि आयुर्वेद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। योग में जहाँ आसन और प्राणायाम के माध्यम से शरीर को लचीला और मजबूत बनाया जाता है, वहीं आयुर्वेद औषधियों, पंचकर्म और आहार-विहार द्वारा शरीर को बीमारियों से मुक्त रखता है।
दोनों का संयुक्त अभ्यास व्यक्ति को दीर्घायु, निरोग और मानसिक रूप से स्थिर बनाता है। आजकल कई आधुनिक वैलनेस सेंटर इन दोनों को मिलाकर ‘योग-अयुर्वेद थेरेपी’ देते हैं। यह जोड़ना बताता है कि भारत की प्राचीन जीवनदृष्टि में शरीर, मन और आत्मा को एक साथ संतुलित करने की परंपरा थी।
🔸 8. दुनिया के अलग-अलग देशों में योग की लोकप्रियता
योग की लोकप्रियता अब भारत तक सीमित नहीं रही। यह एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है जो अमेरिका, यूरोप, खाड़ी देश, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका तक फैल चुका है। आज दुनिया के 190 से अधिक देशों में योग दिवस मनाया जाता है और करोड़ों लोग योग को जीवन का अनिवार्य हिस्सा बना चुके हैं।
अमेरिका में योग एक फैशन और फिटनेस ट्रेंड बन चुका है। वहां लगभग 3.6 करोड़ लोग नियमित रूप से योग करते हैं। ‘योगा विद एड्रिएन’ जैसे यूट्यूब चैनल और स्टूडियो कक्षाएं वहां बहुत लोकप्रिय हैं। यूरोप में भी योग को खासकर मानसिक तनाव और अवसाद से निपटने का कारगर उपाय माना जाता है।
जापान और चीन में योग को संयम, ध्यान और अनुशासन का प्रतीक माना जाता है। दुबई और खाड़ी देशों में भी योग को विशेष मान्यता मिली है। यहां विशेष महिला योग कक्षाएं और सरकारी स्तर पर भी पहल हो रही है।
संयुक्त राष्ट्र, WHO और UNESCO जैसी संस्थाएं भी योग को वैश्विक स्वास्थ्य के लिए जरूरी मानती हैं। स्कूलों और कंपनियों में योग ब्रेक, योग रिट्रीट्स और वर्कशॉप्स आम बात हो गई है। बाली, नेपाल, थाईलैंड जैसे देशों में योग पर्यटन का नया ट्रेंड भी उभरा है।
योग ने साबित कर दिया है कि यह सिर्फ भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं, बल्कि एक वैश्विक जीवन शैली बन गया है, जो हर संस्कृति और समाज के लिए उपयोगी है।
🔸 9. फिटनेस ऐप्स और डिजिटल योग: टेक्नोलॉजी का योगदान
डिजिटल युग में योग ने भी तकनीक का सहारा लिया है और अब यह मोबाइल ऐप्स, यूट्यूब चैनल, ऑनलाइन कोर्स और वर्चुअल क्लासेस के रूप में हर व्यक्ति की पहुंच में आ गया है। खासकर महामारी के बाद, जब लोग जिम और स्टूडियो नहीं जा पा रहे थे, तब डिजिटल योग प्लेटफॉर्म्स ने बड़ी भूमिका निभाई।
आज Google Play Store और App Store पर सैकड़ों योग ऐप्स उपलब्ध हैं, जैसे – Daily Yoga, Yoga for Beginners, Down Dog, आदि। ये ऐप्स लोगों को घर बैठे पर्सनल योग ट्रेनर जैसी सुविधा देते हैं। ये न केवल योगासन सिखाते हैं, बल्कि दिनचर्या, प्रगति ट्रैकिंग और रिमाइंडर जैसी सुविधाएं भी प्रदान करते हैं।
फिटनेस बैंड और स्मार्टवॉच अब योग पोज़ को ट्रैक करने, हृदय गति और सांस नियंत्रण को मापने में सक्षम हो गए हैं। YouTube पर ‘Yoga with Adriene’, ‘Fit Tuber’ और ‘Art of Living’ जैसे चैनलों ने लाखों लोगों को जोड़कर योग को डिजिटल रूप से आगे बढ़ाया है।
Zoom और Google Meet जैसे प्लेटफॉर्म पर लाइव योग सेशन आम हो गए हैं। यहां तक कि ऑफिस कंपनियां भी कर्मचारियों के लिए वर्चुअल योग सेशन कराती हैं।
इससे यह स्पष्ट होता है कि तकनीक के सहयोग से योग अब सिर्फ मैट तक सीमित नहीं रहा, बल्कि मोबाइल से लेकर स्मार्टवॉच तक हर जगह फैल चुका है। डिजिटल योग ने योग को जन-जन तक पहुंचाने में क्रांतिकारी भूमिका निभाई है।
🔸 10. कोरोना काल में योग का महत्त्व
कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से झकझोर दिया। इस कठिन समय में जब अस्पतालों में जगह नहीं थी, दवाइयों की कमी थी और लोग घरों में कैद थे, तब योग एक आत्मबल और स्वास्थ्य का सहारा बना। WHO सहित कई स्वास्थ्य संगठनों ने लोगों को योग करने की सलाह दी।
कोरोना के दौरान प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, कपालभाति जैसे योग अभ्यासों ने लोगों की फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने और ऑक्सीजन लेवल सुधारने में मदद की। मानसिक तनाव, अवसाद और अकेलेपन से जूझते लोगों के लिए ध्यान (Meditation) और योग नितांत जरूरी हो गया।
इस समय कई डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने फ्री योग सेशन्स और लाइव क्लासेस आयोजित कीं। योग शिक्षकों और आयुष मंत्रालय ने संयुक्त रूप से COVID Care Protocols में योग को शामिल किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोगों को योग अपनाने और नियमित अभ्यास करने का संदेश दिया।
कोरोना के कारण लोगों की जीवनशैली में बड़ा बदलाव आया और अब योग एक आदत और आत्मरक्षा का माध्यम बन गया है। अस्पतालों में रिकवरी के दौरान योग थेरेपी को अपनाया गया, जिससे रोगियों की स्वास्थ्य पुनर्प्राप्ति में तेजी आई।
इस कठिन समय में योग ने सिद्ध किया कि यह केवल रोगों की रोकथाम नहीं, बल्कि आंतरिक शक्ति और सकारात्मक सोच का आधार है। कोरोना काल में योग ने करोड़ों लोगों को उम्मीद, साहस और स्वास्थ्य दिया।
🔸 11. बच्चों और युवाओं के लिए योग के लाभ
बदलती जीवनशैली, पढ़ाई का दबाव, स्क्रीन टाइम और अनियमित दिनचर्या ने बच्चों और युवाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया है। ऐसे समय में योग एक ऐसा समाधान है जो उन्हें ध्यान केंद्रित करने, तनाव कम करने और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने में मदद करता है।
योग के अभ्यास से बच्चों में फोकस और मेमोरी बढ़ती है। स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए आसान योगासन जैसे ताड़ासन, भुजंगासन, वज्रासन आदि न केवल शरीर को लचीला बनाते हैं, बल्कि आत्मविश्वास और अनुशासन भी विकसित करते हैं।
प्राणायाम और ध्यान से किशोरों में बढ़ती चिंता और भावनात्मक असंतुलन को नियंत्रित किया जा सकता है। डिजिटल युग के युवाओं में योग आंखों की थकावट, गलत मुद्रा (posture), और मोटापे से भी बचाव करता है।
कई स्कूलों और कॉलेजों में अब योग को को-करिकुलर एक्टिविटी में शामिल किया गया है। CBSE और अन्य बोर्ड भी बच्चों के लिए योग सत्र को बढ़ावा दे रहे हैं। ये सत्र उन्हें जीवन भर के लिए स्वस्थ आदतें सिखाते हैं।
युवा वर्ग, जो जिम और बॉडीबिल्डिंग की ओर आकर्षित होता है, वह अब योग को सस्टेनेबल फिटनेस और मानसिक शांति का विकल्प मानने लगा है। योग अब उनके लिए एक ‘स्टाइल स्टेटमेंट’ नहीं, बल्कि सशक्तिकरण और आत्म-नियंत्रण का माध्यम बन गया है।
🔸 12. महिलाओं के लिए योग: हार्मोन बैलेंस से लेकर प्रेग्नेंसी तक
महिलाओं के जीवन में हार्मोनल बदलाव, तनाव, अनियमित मासिक धर्म, गर्भावस्था और मेनोपॉज़ जैसी स्थितियाँ आम हैं। इन सभी के बीच योग एक ऐसा उपाय है जो उन्हें मानसिक और शारीरिक संतुलन प्रदान करता है। योग सिर्फ शरीर को लचीला बनाता है, ऐसा नहीं है, यह अंदरूनी शक्ति और आत्मविश्वास भी बढ़ाता है।
विशेष रूप से महिलाओं के लिए योग में ऐसे आसनों की व्यवस्था है जो हार्मोनल बैलेंस बनाए रखते हैं, जैसे – भुजंगासन, सेतुबंधासन, बालासन और बद्धकोणासन। ये आसन पीरियड्स की अनियमितता, थकावट और पीठदर्द में लाभकारी होते हैं।
प्रेग्नेंसी के दौरान योग सुरक्षित और उपयोगी होता है। प्रेग्नेंसी योगा गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के लिए तैयार करता है, चिंता और अवसाद से दूर रखता है, तथा शिशु के स्वास्थ्य में भी सहयोगी होता है। हालाँकि इस दौरान विशेषज्ञ की निगरानी ज़रूरी होती है।
वर्किंग वुमन के लिए योग तनाव, माइग्रेन और पीठ दर्द से राहत देता है। प्राणायाम और ध्यान उन्हें मानसिक रूप से स्थिर और केंद्रित रखते हैं। वहीं मेनोपॉज़ के दौरान योग महिलाओं को मानसिक संतुलन, नींद और मूड स्विंग्स में राहत देता है।
आजकल कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और ऐप्स महिलाओं के लिए विशेष योग सत्र प्रदान करते हैं। योग अब महिलाओं के लिए केवल एक्सरसाइज नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, सुंदरता और आत्म-स्वीकृति का माध्यम बन चुका है।
🔸 13. वर्क फ्रॉम होम में मानसिक शांति के लिए योग टिप्स
वर्क फ्रॉम होम के दौरान बैठने की गलत मुद्रा, लगातार स्क्रीन पर समय बिताना और काम-काज का तनाव मानसिक व शारीरिक थकावट को बढ़ा देते हैं। ऐसे माहौल में योग एक प्राकृतिक और प्रभावी उपाय है, जो दिनचर्या में शांति और ऊर्जा लाता है।
सबसे पहले, दिन की शुरुआत 10-15 मिनट के प्राणायाम और सूर्य नमस्कार से करें। यह न केवल रक्त संचार बढ़ाता है, बल्कि दिनभर की थकावट से बचाता है। काम के बीच में 5-10 मिनट का नेत्र योग (आंखों के लिए) और ग्रीवा चालन (गर्दन की एक्सरसाइज) करें जिससे गर्दन और कंधे की अकड़न दूर हो।
दोपहर या शाम को 10 मिनट का ध्यान (Meditation) दिमाग को शांति देता है और एकाग्रता बढ़ाता है। ‘ऑल्टरनेट नोज ब्रिदिंग’ यानी अनुलोम-विलोम तनाव को काफी हद तक कम करता है।
वर्क फ्रॉम होम में वर्क-लाइफ बैलेंस बिगड़ता है, इसलिए योग के जरिए टाइम-मैनेजमेंट और माइंडफुलनेस आ जाती है। कई ऐप्स और YouTube चैनल हैं जो ऑफिस योग, चेयर योग और माइंडफुल ब्रेक्स सिखाते हैं।
यह ध्यान देना ज़रूरी है कि योग अभ्यास आरामदायक कपड़ों में, खुली जगह या शांत कोने में किया जाए। यह आपके शरीर और दिमाग को एक फ्रेश स्टार्ट देने में सहायक होगा।
वर्क फ्रॉम होम के दौर में योग केवल शरीर नहीं, बल्कि मन को भी नए ऊर्जा स्तर पर ले जाता है।
🔸 14. योग से जुड़े फेमस भारतीय गुरुओं का योगदान
योग को आज जो वैश्विक पहचान मिली है, उसका श्रेय भारत के उन महान योग गुरुओं को जाता है जिन्होंने इसे जन-जन तक पहुँचाया। इन गुरुओं ने न केवल योग को सिखाया, बल्कि जीवन जीने की कला के रूप में प्रस्तुत किया।
स्वामी विवेकानंद ने 19वीं सदी में ही योग को अमेरिका और यूरोप तक पहुँचाया। उन्होंने राजयोग और ध्यान को पाश्चात्य दुनिया से परिचित कराया। स्वामी शिवानंद ने योग और आयुर्वेद के संयोजन पर जोर दिया और ‘डिवाइन लाइफ सोसाइटी’ की स्थापना की।
बी. के. एस. अयंगर को योग को वैज्ञानिक ढंग से प्रस्तुत करने का श्रेय जाता है। उनकी पुस्तक ‘Light on Yoga’ आज भी दुनिया भर में प्रसिद्ध है। उन्होंने ‘अयंगर योग’ की शुरुआत की, जो आसनों की सटीकता और बारीकी पर आधारित है।
पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्वामी रामदेव ने योग को घर-घर तक पहुँचाया। उन्होंने टेलीविजन और सोशल मीडिया के ज़रिए योग को आमजन का हिस्सा बनाया। लाखों लोगों ने उनके माध्यम से प्राणायाम, कपालभाति और अनुलोम-विलोम सीखा।
परमहंस योगानंद, श्री श्री रविशंकर, और सद्गुरु जैसे गुरुओं ने भी ध्यान और आध्यात्मिक योग को वैश्विक पहचान दिलाई। इनके योगदान से आज योग केवल आसन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागृति और जीवन दर्शन बन गया है।
🔸 15. विदेशी सेलिब्रिटीज और योग प्रेम
आज योग का प्रभाव केवल भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि विदेशी सेलिब्रिटीज भी इसे अपनी जीवनशैली का अहम हिस्सा बना चुके हैं। इन सितारों ने न सिर्फ खुद योग अपनाया, बल्कि अपने करोड़ों फॉलोअर्स को भी योग के प्रति प्रेरित किया।
हॉलीवुड अभिनेत्री जेनिफर एनिस्टन योग की नियमित साधिका हैं। उन्होंने योग के जरिए तनाव से राहत और फिटनेस बनाए रखी है। मैडोना और ग्वेनेथ पैल्ट्रो जैसी सितारों ने योग को अपने वेलनेस रूटीन में शामिल कर इसे एक फैशन स्टेटमेंट बना दिया।
ह्यू जैकमैन, जो वूल्वरिन के लिए प्रसिद्ध हैं, वह भी योग से अपने शरीर को चुस्त और लचीला रखते हैं। लैडी गागा और केटी पेरी भी योग के माध्यम से मानसिक शांति पाने की बात कह चुकी हैं।
डेविड और विक्टोरिया बेकहम जैसे फुटबॉल और फैशन आइकन ने कपल योग को अपनाया है। इनकी सोशल मीडिया पोस्ट ने लाखों युवाओं को आकर्षित किया। क्रिस्टियानो रोनाल्डो और नोवाक जोकोविच जैसे खिलाड़ी भी योग को अपनी रिकवरी और फोकस का हिस्सा मानते हैं।
इन सितारों की लोकप्रियता के चलते योग सिर्फ स्वास्थ्य का माध्यम नहीं, बल्कि ग्लोबल ट्रेंड और लाइफस्टाइल चॉइस बन चुका है। आज विदेशी सेलेब्स के माध्यम से योग को फैशन और फिटनेस के मेल के रूप में देखा जा रहा है।
🔸 16. स्कूलों और कॉलेजों में योग की अनिवार्यता
आज की शिक्षा प्रणाली में मानसिक तनाव, प्रतिस्पर्धा और पढ़ाई का दबाव बच्चों और युवाओं को शारीरिक व मानसिक रूप से प्रभावित करता है। ऐसे में योग को स्कूल और कॉलेज में अनिवार्य बनाना समय की मांग है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी योग को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की सिफारिश की गई है। CBSE, ICSE और राज्य बोर्ड्स अब स्कूल स्तर पर योग पीरियड और परीक्षाओं में योग प्रदर्शन को शामिल कर रहे हैं। इससे विद्यार्थियों को शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्थिरता भी मिल रही है।
स्कूलों में योग शिक्षा से बच्चों में फोकस, अनुशासन, और भावनात्मक संतुलन आता है। छोटे बच्चों के लिए गेम-योग, ब्रीदिंग एक्सरसाइज और सरल आसनों को अपनाया जाता है। वहीं कॉलेजों में युवाओं के लिए तनाव और अवसाद से निपटने हेतु ध्यान और प्राणायाम विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं।
यूथ फेस्टिवल, NSS, NCC जैसे कार्यक्रमों में भी योग की भागीदारी बढ़ रही है। विश्वविद्यालय स्तर पर योगा सर्टिफिकेशन कोर्स और डिग्री प्रोग्राम्स शुरू किए जा चुके हैं।
शिक्षा में योग की अनिवार्यता से युवा न केवल स्वस्थ रहेंगे, बल्कि वे नैतिक मूल्यों, आत्मानुशासन और आत्मबल से युक्त होकर समाज को सकारात्मक दिशा दे सकेंगे। यह पहल शिक्षा को समग्र और व्यावहारिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
🔸 17. बुजुर्गों के लिए योगासन और सावधानियां
बढ़ती उम्र के साथ शरीर में लचीलापन, हड्डियों की ताकत और प्रतिरोधक क्षमता घटती है। ऐसे में योग बुजुर्गों के लिए एक वरदान साबित हो सकता है। नियमित योग अभ्यास से बुजुर्ग न केवल फिट रहते हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी सशक्त बनते हैं।
उनके लिए विशेष रूप से वज्रासन, ताड़ासन, मकरासन, त्रिकोणासन और शवासन जैसे हल्के और सरल योगासन सुझाए जाते हैं। ये आसन जोड़ों की सख्ती को कम करते हैं, रक्त प्रवाह सुधरता है और सांस की समस्याओं में भी राहत मिलती है। प्राणायाम जैसे अनुलोम-विलोम और भ्रामरी उन्हें मानसिक शांति, अच्छी नींद और तनावमुक्त जीवन प्रदान करते हैं।
बुजुर्गों को योग करते समय कुछ सावधानियों का पालन आवश्यक है—जैसे कि किसी प्रशिक्षित योग शिक्षक के मार्गदर्शन में अभ्यास करना, बहुत कठिन या तीव्र आसनों से बचना, शरीर की क्षमता को समझना और नियमित स्वास्थ्य जांच कराते रहना। यदि उन्हें हाई ब्लड प्रेशर, गठिया, स्लिप डिस्क या हृदय रोग हैं, तो योग को डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करें।
आजकल कई सीनियर सिटीज़न योग ग्रुप्स और ऑनलाइन क्लासेस उपलब्ध हैं जो विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए डिजाइन किए गए हैं। योग उनके लिए न केवल व्यायाम है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता सुधारने और आत्मनिर्भरता बढ़ाने का सशक्त माध्यम है।
🔸 18. सरकार द्वारा आयोजित योग कार्यक्रम 2025
हर वर्ष की तरह इस बार भी भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 को भव्य और जन-भागीदारी से परिपूर्ण बनाने के लिए विशेष तैयारियाँ की हैं। आयुष मंत्रालय इस पूरे आयोजन का संचालन करता है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर लाखों लोगों तक योग पहुंचाने का लक्ष्य तय करती हैं।
2025 के लिए सरकार ने “Yoga for One Earth, One Health” थीम घोषित की है, जो पर्यावरण, स्वास्थ्य और वैश्विक एकता को जोड़ती है। दिल्ली, लखनऊ, अहमदाबाद, भोपाल, चेन्नई और अन्य प्रमुख शहरों में खुले मैदानों, स्कूलों, अस्पतालों, सेना कैंपों और ऑफिस परिसरों में बड़े स्तर पर योग सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं एक प्रमुख शहर में लाखों लोगों के साथ सामूहिक योग अभ्यास करेंगे, जिसकी लाइव टेलीकास्ट DD News, YouTube और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर होगी। इसके अलावा, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे, जेल, पुलिस लाइन, पंचायत घरों और गांव-गांव में भी योग शिविर आयोजित हो रहे हैं।
सरकार ने योग प्रशिक्षकों को ट्रेनिंग देने, योग एंबेसडर नियुक्त करने, और पंचायत से पार्लियामेंट तक योग पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। ‘हर घर योग’ जैसे अभियानों से आम नागरिकों को घर पर योग के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
यह सब मिलकर योग दिवस 2025 को सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि एक जन आंदोलन और राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक बना रहे हैं।
🔸 19. सोशल मीडिया और #InternationalYogaDay ट्रेंड्स
आज का युग डिजिटल है और कोई भी आंदोलन सोशल मीडिया के बिना अधूरा है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 भी इससे अछूता नहीं है। हर वर्ष की तरह इस बार भी #InternationalYogaDay, #YogaForAll, #YogaForWellbeing, #YogaWithModi जैसे हैशटैग सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं।
लोग Facebook, Twitter (X), Instagram और YouTube पर अपने योग अभ्यास की तस्वीरें और वीडियो साझा कर रहे हैं। कई लोग Reels और Shorts के जरिए योग के आसान स्टेप्स और टिप्स को वायरल कर रहे हैं। सरकारी मंत्रालयों, सेलिब्रिटीज़, फिटनेस इन्फ्लुएंसर्स और आम लोग भी इस अभियान में सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं।
इस बार Ayush मंत्रालय ने #YogaMyPride नाम से एक चैलेंज लॉन्च किया है जिसमें लोग अपने योग अनुभव साझा करके ई-सर्टिफिकेट और गिफ्ट्स जीत सकते हैं। इंस्टाग्राम पर “Yoga Pose Challenge” जैसे ट्रेंड युवाओं को काफी आकर्षित कर रहे हैं।
YouTube चैनल्स ‘Art of Living’, ‘Yoga with Aditya’, ‘Baba Ramdev’ आदि भी इस दिन विशेष लाइव योग सत्र चला रहे हैं। Twitter (X) पर प्रधानमंत्री मोदी और कई कैबिनेट मंत्री अपने योग अभ्यास की तस्वीरें साझा कर चुके हैं।
इस तरह सोशल मीडिया ने योग दिवस को ग्लोबल डिजिटल फेस्टिवल बना दिया है, जो न केवल योग को जन-जन तक पहुंचाता है बल्कि युवाओं को भी उत्साहपूर्वक जोड़ता है। यह डिजिटल ऊर्जा योग को 21वीं सदी के सबसे प्रभावशाली स्वास्थ्य अभियान में बदल रही है।
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🔸 20. कैसे आप इस योग दिवस पर अपनी दिनचर्या में योग शामिल कर सकते हैं?
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस केवल एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि एक नई जीवनशैली शुरू करने का अवसर है। अगर आप भी इस योग दिवस पर अपनी दिनचर्या में योग को शामिल करना चाहते हैं, तो इसकी शुरुआत छोटे और आसान कदमों से करें।
सबसे पहले, रोज़ सुबह या शाम के समय 10-15 मिनट के सरल योग अभ्यास से शुरुआत करें। ताड़ासन, भुजंगासन, वज्रासन, और शवासन जैसे आसन शुरुआती लोगों के लिए उत्तम हैं। साथ ही अनुलोम-विलोम और भ्रामरी प्राणायाम से अपने दिन की शुरुआत करें, जो तनाव को कम और एकाग्रता को बढ़ाता है।
योग के लिए एक स्थायी समय और स्थान निर्धारित करें। मोबाइल ऐप्स या यूट्यूब चैनल की सहायता से आप घर बैठे अभ्यास कर सकते हैं। यदि संभव हो तो पास के योग सेंटर या ग्रुप क्लास से जुड़ें, जहाँ सामूहिक योग करने से प्रेरणा भी मिलती है।
अपने खान-पान और नींद के पैटर्न को संतुलित रखें, क्योंकि योग केवल अभ्यास नहीं, एक सम्पूर्ण जीवन पद्धति है। हफ्ते में एक दिन ‘डिजिटल डिटॉक्स’ अपनाकर ध्यान और मौन साधना का अभ्यास करें।
इस योग दिवस पर संकल्प लें कि आप सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि हर दिन योग करेंगे। यह आपकी मानसिक, शारीरिक और आत्मिक उन्नति का माध्यम बनेगा। योग को अपनाइए, और जीवन को नई ऊर्जा और संतुलन के साथ जीना शुरू कीजिए।