अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: एक वैश्विक स्वास्थ्य पहल

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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन योग की प्राचीन भारतीय परंपरा और उसके स्वास्थ्य लाभों को वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने के लिए समर्पित है। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा, जिसे रिकॉर्ड 177 देशों का समर्थन मिला। इसके बाद 21 जून 2015 को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया।

21 जून को चुने जाने के पीछे विशेष कारण है – यह दिन ग्रीष्म संक्रांति (Summer Solstice) होता है, जब सूर्य सबसे अधिक समय तक धरती पर प्रकाश डालता है, जो योगिक ऊर्जा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

योग न केवल शारीरिक व्यायाम है, बल्कि यह मानसिक और आत्मिक संतुलन भी प्रदान करता है। नियमित योगाभ्यास से तनाव, चिंता, मोटापा, उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक, योग हर उम्र के लोगों के लिए लाभकारी है।

आज के डिजिटल युग में भी योग अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है। स्कूल, कॉलेज, सरकारी संस्थाएं और कॉर्पोरेट कंपनियाँ इस दिन विशेष योग सत्र आयोजित करती हैं। सोशल मीडिया पर भी #YogaDay और #InternationalYogaDay जैसे हैशटैग ट्रेंड करते हैं।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस हमें इस बात की याद दिलाता है कि स्वास्थ्य और मानसिक शांति केवल दवाओं से नहीं, बल्कि हमारे जीवनशैली में योग को शामिल करके भी पाई जा सकती है।

1. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: एक वैश्विक पहल की शुरुआत

योग, भारत की प्राचीन धरोहर है जो हजारों वर्षों से जीवन को संतुलन, शांति और स्वास्थ्य प्रदान करता आ रहा है। इसी अद्भुत विरासत को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव को अभूतपूर्व समर्थन मिला और 177 देशों ने इसे सहमति प्रदान की। इसके बाद 21 जून को हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया।

पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया, जिसमें भारत सहित विश्वभर के लाखों लोगों ने भाग लिया। दिल्ली के राजपथ पर हजारों लोगों ने एक साथ योगाभ्यास किया, जिसने एक गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया। इस आयोजन से पूरी दुनिया को यह संदेश गया कि योग केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक स्वास्थ्य विज्ञान है।

21 जून को इसलिए चुना गया क्योंकि यह ग्रीष्म संक्रांति का दिन होता है, जब सूर्य उत्तरायण की ओर बढ़ता है और दिन सबसे लंबा होता है। योग में सूर्य का विशेष महत्व माना जाता है, और यह दिन योगिक ऊर्जा के दृष्टिकोण से बहुत प्रभावशाली होता है।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की यह पहल सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि मानवता के शारीरिक, मानसिक और आत्मिक उत्थान की दिशा में एक वैश्विक आंदोलन बन चुकी है। यह दिन हमें हमारी जीवनशैली में संतुलन, अनुशासन और स्वास्थ्य को अपनाने की प्रेरणा देता है।

2. योग दिवस 2025 की थीम क्या है?

हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय योग दिवस एक विशेष थीम (Theme) के साथ मनाया जाता है, जिससे लोगों को योग के महत्व को विशेष संदर्भों में समझाया जा सके। वर्ष 2025 के लिए थीम अभी सरकारी रूप से घोषित नहीं की गई है, लेकिन पूर्ववर्ती वर्षों की थीम हमें इस दिशा में संकेत देती है।

पिछले वर्षों की थीम इस प्रकार रही हैं:

  • 2024: Yoga for Self and Society (स्वयं और समाज के लिए योग)
  • 2023: Yoga for Vasudhaiva Kutumbakam (पूरा विश्व एक परिवार है – के लिए योग)
  • 2022: Yoga for Humanity (मानवता के लिए योग)

इन थीम्स का उद्देश्य यह बताना है कि योग केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज, मानवता और वैश्विक शांति में भी सहायक हो सकता है।

2025 की थीम आने वाले दिनों में भारत सरकार या आयुष मंत्रालय द्वारा घोषित की जाएगी। थीम के आधार पर सरकारी इवेंट्स, स्कूल कार्यक्रम और सोशल मीडिया अभियान आयोजित किए जाते हैं। योग को आज की तेजी से बदलती जीवनशैली में शामिल कर शारीरिक और मानसिक संतुलन कैसे लाया जाए, यही थीम का मूल उद्देश्य होता है।

3. 21 जून को ही योग दिवस क्यों मनाया जाता है?

21 जून को योग दिवस मनाने के पीछे वैज्ञानिक और योगिक दोनों दृष्टिकोण हैं। यह दिन ग्रीष्म संक्रांति (Summer Solstice) का दिन होता है, जब सूर्य पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन और सबसे छोटी रात लाता है। योग में सूर्य को जीवन का प्रतीक माना जाता है और सूर्य नमस्कार जैसे अभ्यास इसकी पुष्टि करते हैं।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से यह दिन ऊर्जाओं के उच्चतम स्तर का समय माना जाता है। ऋषि-मुनियों के अनुसार, यही वह समय होता है जब ध्यान, साधना और आत्मिक विकास के लिए वातावरण सबसे अनुकूल होता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने संयुक्त राष्ट्र भाषण में कहा था कि 21 जून को योग दिवस मनाना प्रकृति और मानव शरीर के बीच तालमेल का प्रतीक है।


4. प्रधानमंत्री मोदी की पहल और संयुक्त राष्ट्र की मान्यता

वर्ष 2014 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण के दौरान योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा, “योग केवल व्यायाम नहीं, बल्कि शरीर और मन, विचार और क्रिया, संयम और पूर्ति का एक समग्र विज्ञान है।”

इस प्रस्ताव को 177 देशों का समर्थन मिला—जो संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में एक रिकॉर्ड था। इस समर्थन से स्पष्ट हुआ कि योग की शक्ति को पूरी दुनिया मानती है और एकसाथ इसका हिस्सा बनना चाहती है।


5. पहला योग दिवस कब और कैसे मनाया गया?

पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया था। इस दिन भारत के राजपथ, नई दिल्ली में एक भव्य आयोजन हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 35,985 लोगों ने भाग लिया और 21 योगासन किए। यह एक गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बना।

इस आयोजन में 84 देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। यह दिन पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना और भारत की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाई मिली।


6. योग की प्राचीन भारतीय विरासत

योग भारत की हजारों वर्षों पुरानी परंपरा है, जिसका वर्णन ऋग्वेद, उपनिषदों, और पतंजलि योगसूत्र में मिलता है। प्राचीन ऋषि-मुनियों ने योग को एक जीवन पद्धति के रूप में अपनाया, जो केवल शरीर नहीं बल्कि मन और आत्मा की शुद्धि भी करता है।

पतंजलि मुनि को योग दर्शन का जनक माना जाता है। उन्होंने योग को आठ अंगों (अष्टांग योग) में विभाजित किया – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि।


7. योग केवल आसन नहीं, एक जीवनशैली है

अक्सर लोग योग को केवल शरीर की एक्सरसाइज समझते हैं, लेकिन वास्तव में यह एक समग्र जीवनशैली है। योग केवल शरीर को फिट रखने का माध्यम नहीं, बल्कि यह मन को शांत रखने, आत्मा को जागृत करने और विचारों को नियंत्रित करने का विज्ञान है।

योग का उद्देश्य है – शरीर, मन और आत्मा में संतुलन बनाना। नियमित योगाभ्यास से जीवन में सकारात्मकता, अनुशासन, संयम और सहनशीलता आती है।


8. योग के वैज्ञानिक लाभ: शरीर से मन तक

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने भी योग के प्रभावों को स्वीकार किया है। अनुसंधानों से साबित हुआ है कि योग:

  • रक्तचाप नियंत्रित करता है
  • डायबिटीज और मोटापे में लाभकारी है
  • तनाव, चिंता और अवसाद को कम करता है
  • फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है
  • मन की एकाग्रता और नींद की गुणवत्ता सुधारता है

9. योग से मानसिक तनाव और चिंता में राहत

आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में मानसिक तनाव एक आम समस्या बन चुकी है। योग, विशेष रूप से प्राणायाम, ध्यान और शवासन, मानसिक शांति लाने में अत्यंत प्रभावी माने जाते हैं।

नियमित योग से शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन (तनाव हार्मोन) का स्तर कम होता है। साथ ही यह मन को स्थिर और विचारों को स्पष्ट करता है।


10. स्कूलों और कॉलेजों में योग दिवस का आयोजन

योग को शिक्षा में शामिल करना आज समय की मांग है। भारत के सभी स्कूलों और कॉलेजों में 21 जून को योग दिवस बड़े स्तर पर मनाया जाता है। शिक्षक, छात्र और अभिभावक मिलकर सामूहिक योग सत्र में भाग लेते हैं।

छात्रों में योग से एकाग्रता, अनुशासन, आत्म-विश्वास और मानसिक स्पष्टता बढ़ती है। कई स्कूल तो नियमित योग कक्षाएं भी चला रहे हैं।

11. ऑफिस वर्कर्स के लिए आसान योग टिप्स

आज के समय में अधिकांश लोग 8–10 घंटे कंप्यूटर और डेस्क पर बैठकर काम करते हैं, जिससे कमर, गर्दन और आंखों में तनाव उत्पन्न होता है। ऐसे में योग ऑफिस वर्कर्स के लिए संजीवनी समान है।

कुछ सरल लेकिन प्रभावी आसन जैसे त्रिकोणासन, ताड़ासन, भुजंगासन, ग्रीवा चालन (neck rotation), और कंध चालन (shoulder rolls) ऑफिस में ही बिना किसी मैट के किए जा सकते हैं। साथ ही, ब्राह्मरी प्राणायाम और अनुलोम-विलोम मानसिक तनाव को कम करते हैं।

5 से 10 मिनट का योग ब्रेक कर्मचारियों की उत्पादकता और एकाग्रता दोनों को बढ़ा सकता है।


12. महिलाओं के लिए विशेष योग आसन

महिलाओं के लिए योग न केवल स्वास्थ्य बल्कि हार्मोनल बैलेंस और मूड स्टेबिलिटी के लिए भी आवश्यक है। मासिक धर्म, प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज़ जैसे समय में योग से राहत मिलती है।

कुछ विशेष आसन जैसे सुप्त बद्धकोणासन, बालासन, पश्चिमोत्तानासन, भुजंगासन और नवकासन महिलाओं की विशेष ज़रूरतों को पूरा करते हैं। साथ ही, प्राणायाम मन को स्थिर और सकारात्मक बनाए रखता है।


13. बच्चों में योग की आदत क्यों जरूरी है?

बचपन में योग की आदत डालना मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बेहद जरूरी है। बच्चों में बढ़ती स्क्रीन टाइम, मोटापा, और एकाग्रता की कमी जैसी समस्याओं से निपटने के लिए योग बहुत कारगर है।

ताड़ासन, वृक्षासन, तितली आसन, शवासन और ध्यान बच्चों के लिए सरल और रोचक हैं। योग बच्चों को अनुशासन, संयम और आत्मविश्वास भी सिखाता है।


14. वरिष्ठ नागरिकों के लिए योग का महत्व

बुज़ुर्गों के लिए योग शारीरिक चुस्ती और मानसिक सुकून का स्त्रोत है। उम्र बढ़ने के साथ आने वाली समस्याएं जैसे जोड़ों का दर्द, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और अकेलापन योग से नियंत्रित किया जा सकता है।

वज्रासन, शशकासन, कपालभाति, अनुलोम-विलोम और धीरे-धीरे किए जाने वाले स्ट्रेचिंग योगासन वृद्धजनों के लिए सुरक्षित और लाभकारी हैं। इससे नींद की गुणवत्ता, पाचन क्षमता और मन की स्थिरता बढ़ती है।


15. योग दिवस पर सोशल मीडिया की हलचल

हर साल योग दिवस पर सोशल मीडिया पर जबरदस्त गतिविधियाँ होती हैं। लोग अपनी योग करते हुए फोटो और वीडियो #InternationalYogaDay और #YogaForWellness जैसे हैशटैग के साथ साझा करते हैं।

सरकारी संस्थान, ब्रांड्स और सेलिब्रिटीज़ भी डिजिटल माध्यमों से योग का संदेश फैलाते हैं। इससे युवाओं में जागरूकता और प्रेरणा दोनों का संचार होता है।


16. योग और आत्मिक शांति का संबंध

योग केवल शरीर को स्वस्थ रखने का माध्यम नहीं, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि और शांति का भी मार्ग है। योग हमें अपने भीतर झाँकने, आत्मनिरीक्षण करने और अंतर्मन से जुड़ने में मदद करता है।

ध्यान, प्राणायाम, मंत्र जाप जैसे अभ्यासों से व्यक्ति के विचार स्थिर होते हैं और वह सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। योग आत्मा को शांति, उद्देश्य और स्पष्टता देता है।


17. दुनिया भर में योग दिवस के आयोजन

भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के लगभग हर देश में योग दिवस पर भव्य आयोजन होते हैं। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वेयर, पेरिस के आइफेल टॉवर, और चीन के ग्रेट वॉल पर भी सामूहिक योग सत्र आयोजित किए जाते हैं।

यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का प्रतीक हैं और यह दर्शाते हैं कि योग अब केवल भारतीय नहीं, बल्कि वैश्विक धरोहर बन चुका है।


18. फिटनेस ट्रेंड्स में योग की भूमिका

जब फिटनेस की बात आती है, तो अब सिर्फ जिम या कार्डियो ही नहीं, योग भी एक अहम हिस्सा बन चुका है। सेलिब्रिटीज़ से लेकर आम लोग अब योग को अपने फिटनेस रूटीन में शामिल कर रहे हैं।

योग न केवल फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाता है, बल्कि यह फैट बर्निंग, मसल टोनिंग और स्टैमिना में भी सहायता करता है। पावर योग, फ्लो योग, हॉट योगा जैसे नए फॉर्म्स युवाओं में काफी लोकप्रिय हैं।


19. डिजिटल युग में वर्चुअल योग सत्र

कोविड-19 के बाद वर्चुअल योग सत्रों का चलन तेजी से बढ़ा है। अब लोग अपने घरों में बैठकर ऑनलाइन योग कक्षाओं से जुड़ सकते हैं। Zoom, YouTube और इंस्टाग्राम लाइव पर कई योग गुरु नियमित सत्र देते हैं।

यह तकनीक न केवल दूरदराज के लोगों को जोड़ती है, बल्कि समय की बचत और सुविधा भी प्रदान करती है। सरकार भी वर्चुअल योग को बढ़ावा दे रही है।


20. योग दिवस पर सरकार और संस्थाओं की भागीदारी

भारत सरकार का आयुष मंत्रालय योग दिवस के सफल आयोजन का मुख्य संयोजक होता है। इसके अलावा, राज्य सरकारें, एनजीओ, स्कूल, विश्वविद्यालय और कॉर्पोरेट सेक्टर भी इस दिन बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं।

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सामूहिक योग सत्र, प्रतियोगिताएँ, स्वास्थ्य शिविर और जनजागरूकता रैलियाँ आयोजित की जाती हैं। इससे समाज में स्वास्थ्य, अनुशासन और समरसता की भावना को बल मिलता है।

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