राष्ट्रपति की पहली महिला ADC बनीं यशस्वी सोलंकी: एक ऐतिहासिक उपलब्धि

0
first woman adc to president

तस्वीर - MSN

🧭यशस्वी सोलंकी परिचय

भारतीय सशस्त्र बलों की दीर्घकालिक परंपरा में एक ऐतिहासिक क्षण तब आया जब भारतीय नौसेना की अधिनायक (Lieutenant Commander) यशस्वी सोलंकी को राष्ट्रपति के Aide‑de‑Camp (ADC) के रूप में नियुक्त किया गया। यह पहली बार है जब किसी महिला नौसेना अधिकारी को यह सम्मान प्राप्त हुआ है। यह नियुक्ति न केवल एक महिला अधिकारी के व्यक्तिगत इतिहास में एक उन्नति है, बल्कि भारतीय सैन्य इतिहास में लिंग समावेशिता की दिशा में एक अहम मोड़ भी है।


1. ADC की भूमिका और गरिमा

  1. ADC — Aide‑de‑Camp, राष्ट्रपति के निकटस्थ व्यक्तिगत अधिकारी होते हैं। इनका काम:
    • राष्ट्रपति की दिनचर्या में शासन‑प्रोटोकॉल बनाए रखना।
    • राज्य‑कार्यक्रमों और समारोहों का सुगठित संचालन।
    • सैन्य और शासकीय सामंजस्य सुनिश्चित करना।
  2. सामान्यतः राष्ट्रपति के पास पाँच ADC होते हैं:
    • तीन थलसेना से।
    • एक नौसेना से।
    • एक वायुसेना से।
  3. ADC की भूमिका सिर्फ औपचारिक नहीं होती, बल्कि इसमें निर्णय-स्थिति, उच्च प्रसंस्करण और सरकारी‑सैन्य संवाद भी शामिल होता है।

2. यशस्वी सोलंकी का सफर

  1. यशस्वी सोलंकी भारतीय नौसेना की एक युवा, प्रतिभाशाली अधिकारी हैं जिन्होंने चयन परीक्षा, प्रशिक्षण और विभिन्न तैनातियों के माध्यम से खुद को साबित किया है।
  2. भारतीय नौसेना में उनका कार्यरत रुझान, अनुशासन, नेतृत्व क्षमता और दक्षता ने उन्हें ADC के पद के लिए योग्य बनाया।
  3. उनकी नियुक्ति निम्नलिखित सरकारी सुधारों और समावेशी मानसिकता के परिणामस्वरूप संभव हो पाई।

3. लिंग समानता की दिशा में सैन्य सुधार

  1. समावेशी नीति: भारतीय सशस्त्र बल पिछले कुछ वर्षों से कार्यबल में लिंग समावेशिता बढ़ा रहे हैं—महिला अधिकारियों को नेतृत्व, कमान और ADC जैसे पद सौंपे जा रहे हैं।
  2. थिएटर कमांड कॉन्सेप्ट: 2025 से लागू होने वाले एकीकरण की नीति के तहत, सेना, नौसेना और वायुसेना के ADC अब पारस्परिक सक्रीय सेवा (cross-service) प्रणाली के तहत चुने जाएंगे। इससे संयुक्त संचालन और समन्वय बेहतर होंगे।
  3. यह नीति पूर्व CDS (Chief of Defence Staff) जनरल बिपिन रावत के दृष्टिकोण और योगदान की मुकम्मल परंपरा का हिस्सा है।

4. ऐतिहासिक महत्व और संदेश

  1. यह नियुक्ति गर्व का क्षण है—जब कोई महिला नौसेना अधिकारी राष्ट्रीय सर्वोच्च पद के निकटतम अधिकारी के रूप में देखी जाती है।
  2. यह एक प्रेरणादायी सन्देश है:
    • हर महिला अधिकारी को यह संदेश देना कि “आप किसी भी नेतृत्व या प्रतिष्ठित पद के योग्य हैं।”
  3. नौसेना के ध्वज के साथ यह सांकेतिक संकेत है कि समुद्र के वीर नौजवानों में लिंग भेद को अब कोई स्थान नहीं है।

5. विस्तार में — एक महिला अधिकारी का योगदान

  1. शैक्षिक पृष्ठभूमि और प्रशिक्षण
    • नौसेना अकादमी में MBBS या अन्य उच्च शिक्षा से लैस, यशस्वी ने प्रशिक्षण समय में उच्च ग्रेड प्राप्त किए।
  2. प्रारंभिक तैनातियां
    • जहाज के अधिकारियों के रूप में काम।
    • समन्वयन, रसद और सैन्य संचालन में योगदान।
    • अंतर‑सेवा कार्यशालाओं और विविध मिशनों में सक्रिय भागीदारी।
  3. सामाजिक सरोकार और नेतृत्व
    • महिला अधिकारी समूहों में नेतृत्व।
    • सेना परिवारों के कल्याण कार्यक्रम में हिस्सा।
    • प्रेरणादायी पैनल चर्चाओं और नेतृत्व कार्यशालाओं में भागीदारी।

6. ADC के रूप में आगामी जिम्मेदारियाँ

  1. कार्य प्रणाली
    • राष्ट्रपति की दैनिक एजेंडा संचालित करना।
    • सैन्य‑सरकारी कार्यक्रमों की सूची को व्यवस्थित करना।
    • सुरक्षा और नियमावली का अनुपालन सुनिश्चित करना।
  2. समारोह और आयोजन
    • गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, विदेशी गणमान्य व्यक्तियों के स्वागत व कार्य निर्माण में भागीदारी।
  3. प्रोटोकॉल सुधार
    • समावेशी प्रोटोकॉल में महत्वपूर्ण योगदान।
    • महिला अधिकारियों के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा।

7. बाद की राह और भविष्य की संभावनाएँ

  1. यशस्वी सोलंकी का यह पद मार्गदर्शक होगा:
    • अधिक महिला अधिकारी ADC, कमांडर और उच्च पदों पर आएंगी।
    • ADC से आगे के उच्च सैन्य पदों की ओर बढ़ेंगे।
  2. नौसेना में यह नियुक्ति वरिष्ठ महिला अधिकारियों को भी प्रेरित करेगी।
  3. यह एक सामाजिक-रुढ़िवाद विरोधी संकेत है, जिससे देखा जा सकता है कि महिलाएँ भी वह मुकाम हासिल कर सकती हैं, जिसे केवल पुरुषों की क्षमता तक माना जाता था।

8. आलोचक मत और प्रशंसाएँ

  1. कुछ आलोचक ADC पद को ‘प्रोटोकॉल’ मात्र ही बताते हुए यह कह सकते हैं कि “सिर्फ सजावटी भूमिका” हो सकती है।
  2. परन्तु ये आवाजें यशस्वी जी की वास्तविक कार्य क्षमता, प्रतिबद्धता और अधिकारियों के साथ मिलकर किए जा रहे योगदान को दरकिनार करती हैं।
  3. सच यह है — ADC केवल एक सम्मानजनक पद नहीं, बल्कि नेतृत्व, दृष्टिकोण और निर्णय लेने की क्षमता का परिचायक होता है।

9. लेखक की दृष्टि से निष्कर्ष

  • यशस्वी सोलंकी का यह पद सिर्फ महिला सशक्तिकरण की कहानी नहीं, बल्कि भारतीय सेना के लिंग‑निर्भर पूर्वाग्रह को तोड़ने की दिशा में एक ठोस क़दम है।
  • यह एक संदेश है कि “सक्षमता, मेहनत और प्रतिबद्धता—यही आपके मूल्य हैं, लिंग नहीं।”

ये भी पढ़े – जब औरत बनी कातिल: भारत में बढ़ते पतियों की हत्या के मामले

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *