AI और कानूनी व्यवस्था

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AI and legal ethics

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने दुनिया के लगभग हर क्षेत्र को प्रभावित किया है, लेकिन जब बात न्याय प्रणाली की होती है, तो यह प्रभाव और भी संवेदनशील हो जाता है। कानून, जो नैतिकता, विवेक, और मानवीय अनुभूतियों पर आधारित होता है, उसमें AI का उपयोग कई बार उलझनों को जन्म देता है।

हाल ही में, दुनिया भर की अदालतों में ऐसे अनेक मामले सामने आए हैं जहाँ वकीलों ने AI-जनित सामग्री का उपयोग किया, लेकिन वह झूठी या फर्जी निकली। भारत में भी AI और कानूनी नैतिकता को लेकर नई बहस छिड़ी है, खासकर ANI बनाम OpenAI जैसे केस के बाद।

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2. AI की “Hallucination” समस्या

AI की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह “hallucinate” कर सकता है यानी तथ्य गढ़ सकता है। उदाहरण के लिए, कोई वकील ChatGPT या किसी अन्य AI से केस लॉ पूछे और AI ऐसा केस बता दे जो कभी हुआ ही नहीं, तो यह बहुत गंभीर कानूनी चूक बन जाती है।

उदाहरण:

  • अमेरिका में वकीलों पर जुर्माना लगाया गया क्योंकि उन्होंने कोर्ट में ऐसे केस का हवाला दिया जो वास्तव में कभी हुआ ही नहीं था।
  • एक अन्य मामले में जेल प्रणाली से जुड़े मुकदमे में वकील ने AI से प्राप्त जानकारी कोर्ट को दी, जो जांच में पूरी तरह झूठी निकली।

इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि AI का उपयोग केवल सहायक उपकरण के रूप में किया जाना चाहिए — न कि अंतिम निर्णय या साक्ष्य के रूप में।


3. भारत में AI और कानून: हाल की प्रमुख घटनाएँ

3.1 ANI बनाम OpenAI (2024–25)

भारत में AI से संबंधित सबसे चर्चित मामला रहा है ANI बनाम OpenAI।

मुद्दा: ANI ने आरोप लगाया कि OpenAI (जो ChatGPT विकसित करता है) ने उनके न्यूज़ कंटेंट का उपयोग अपने मॉडल को प्रशिक्षित करने में किया, बिना अनुमति और बिना श्रेय दिए।

विवाद: ChatGPT कभी-कभी ANI के हवाले से झूठी या मनगढ़ंत खबरें भी बना देता था, जिससे ANI की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचता था।

वर्तमान स्थिति: मामला दिल्ली हाईकोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट यह तय कर रही है कि क्या भारतीय न्यायपालिका OpenAI जैसे विदेशी प्लेटफ़ॉर्म पर अधिकार क्षेत्र रखती है और क्या यह कॉपीराइट उल्लंघन है।

यह केस भारत में AI की वैधानिक स्थिति और कॉपीराइट की सीमाओं को तय करने वाला एक ऐतिहासिक मुकदमा बन सकता है।


4. न्यायपालिका में AI का उपयोग: लाभ और सीमाएँ

भारत की कई अदालतें भी अब AI का उपयोग करना शुरू कर चुकी हैं — लेकिन केवल सहायक उपकरण के रूप में।

4.1 मणिपुर हाई कोर्ट का उदाहरण

मई 2024 में मणिपुर हाई कोर्ट ने एक केस के तथ्यों की जानकारी के लिए ChatGPT की मदद ली। हालाँकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इसका उपयोग केवल संदर्भ के लिए किया गया और अंतिम निर्णय पूरी तरह न्यायाधीश द्वारा मानवीय विवेक के आधार पर लिया गया।

4.2 सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति गवई की चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी. आर. गवई ने एक भाषण में कहा कि:

  • AI का उपयोग अनुसंधान और डाटा विश्लेषण के लिए किया जा सकता है।
  • लेकिन, न्याय की मूल भावना — जैसे सहानुभूति, नैतिक विवेक और सामाजिक दृष्टिकोण — केवल मानव न्यायाधीश ही दे सकते हैं।

5. कानूनी नैतिकता की प्रमुख चुनौतियाँ

5.1 सहानुभूति और विवेक

AI डेटा और एल्गोरिदम पर आधारित होता है, जबकि कानून कई बार मानवीय स्थितियों, सामाजिक परिस्थितियों और नैतिक मूल्यों के आधार पर निर्णय लेता है।

एक रोते हुए पीड़ित की आंखों में देख कर न्यायाधीश जो महसूस करता है, वह कोई मशीन नहीं कर सकती।

5.2 जवाबदेही और उत्तरदायित्व

अगर AI की वजह से कोई गलत कानूनी निर्णय या दस्तावेज़ तैयार होता है, तो उसका ज़िम्मेदार कौन होगा?

  • AI कंपनी?
  • उपयोग करने वाला वकील?
  • या न्यायपालिका?

यह तय करना एक गंभीर नैतिक और कानूनी प्रश्न है।

5.3 कॉपीराइट और डेटा स्रोत

ANI जैसे मामलों में यह प्रश्न उठता है कि जब कोई AI मॉडल लाखों लेख, रिपोर्ट, और केस फाइल से डेटा लेकर प्रशिक्षित होता है, तो क्या वह कॉपीराइट कानून का उल्लंघन नहीं कर रहा?

कानूनी रूप से बिना अनुमति जानकारी लेना एक अपराध है।


6. भविष्य की रूपरेखा: क्या कदम उठाए जाने चाहिए?

6.1 वकीलों के लिए दिशा-निर्देश

  • AI से प्राप्त किसी भी जानकारी को उपयोग से पहले वैरिफाई करें।
  • केस लॉ, नियम, या धाराएं केवल AI पर निर्भर होकर कोर्ट में न रखें।
  • अगर AI का उपयोग हुआ है, तो कोर्ट को स्पष्ट रूप से बताया जाए।

6.2 न्यायपालिका की भूमिका

  • AI का सीमित और अनुशासित उपयोग।
  • केवल सहायक उपकरण की तरह उपयोग, न कि निर्णायक स्रोत के रूप में।
  • न्यायाधीशों को AI की सीमाओं की समझ होनी चाहिए।

6.3 कानूनी शिक्षा में AI

  • लॉ कॉलेजों में AI के उपयोग, जोखिम, और नैतिक पक्षों की शिक्षा दी जानी चाहिए।
  • भावी वकीलों को बताया जाए कि कैसे AI को सुरक्षित और जिम्मेदारी से उपयोग करें।

6.4 राष्ट्रीय नीति और कानून

  • सरकार को चाहिए कि वह AI के लिए स्पष्ट नियमावली बनाए।
  • जैसे—AI को प्रशिक्षित करने के लिए किस प्रकार का डेटा उपयोग किया जा सकता है।
  • न्याय प्रणाली में AI के उपयोग की सीमाएं तय की जाएं।

7. निष्कर्ष: न्याय और तकनीक का संतुलन

AI एक शक्तिशाली तकनीकी उपकरण है, लेकिन कानून केवल तकनीक नहीं — यह न्याय, संवेदना और विवेक का संगम है।

जब तक हम यह नहीं समझेंगे कि AI केवल एक सहायक है, न कि निर्णयकर्ता, तब तक न्याय प्रणाली में उसके उपयोग से गलतियाँ होती रहेंगी।

ANI बनाम OpenAI और मणिपुर हाई कोर्ट जैसे मामले हमें यह सिखाते हैं कि तकनीक का उपयोग विवेक और जिम्मेदारी के साथ किया जाए।

यदि AI का उपयोग पारदर्शिता, जवाबदेही और मानव संवेदना के साथ किया जाए, तो यह न्याय व्यवस्था को और अधिक सशक्त बना सकता है।


★ प्रमुख केस सारांश

केस का नामस्थानवर्षमुख्य मुद्दास्थिति
ANI बनाम OpenAIदिल्ली HC2024–25कॉपीराइट और AI trainingसुनवाई जारी
Avianca विमान केसन्यूयॉर्क2023झूठा केस हवाला$5000 जुर्माना
अलाबामा जेल मुकदमाअमेरिका2024AI से फर्जी जानकारीअनुशासनात्मक कार्रवाई
मणिपुर हाईकोर्टभारत2024ChatGPT से तथ्य मददAI का सीमित उपयोग

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