‘मैं होता तो…’: सौरव गांगुली ने गौतम गंभीर की चयन रणनीति पर उठाए सवाल, शुभमन गिल को भारत की 471 पर सिमटी पारी के बाद दी चेतावनी

भारत द्वारा पहले दिन शानदार प्रदर्शन करने के बाद, लीड्स में खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच के दूसरे दिन इंग्लैंड ने जबरदस्त वापसी की। शनिवार को इंग्लिश गेंदबाज़ों ने अनुशासन, आक्रामकता और बेहतर रणनीति के साथ गेंदबाज़ी करते हुए टीम में नई ऊर्जा का संचार किया। भारत की पहली पारी 471 रनों पर सिमटने के बाद, इंग्लैंड की ओर से खेल पूरी तरह से बदला हुआ नज़र आया।
इसी बीच, भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने भारतीय टीम की रणनीति पर सवाल उठाते हुए गौतम गंभीर की चयन नीति की आलोचना की। गांगुली ने तेज़ गेंदबाज़ों के चयन को लेकर विशेष चिंता जताई, खासकर उस पेसर को बाहर रखने के फैसले पर जो परिस्थितियों में बेहद कारगर साबित हो सकता था।
गांगुली का मानना था कि भारत को इंग्लैंड जैसी परिस्थितियों में ज़्यादा तेज़ गेंदबाज़ों के साथ उतरना चाहिए था, क्योंकि वहां की पिचों पर स्विंग और सीम मूवमेंट अधिक असर डालते हैं। उन्होंने कहा कि अगर वो चयनकर्ता होते, तो टीम की बॉलिंग लाइन-अप कुछ अलग होती।
साथ ही गांगुली ने शुभमन गिल को भी आगाह किया। गिल ने पहली पारी में 147 रन बनाकर शानदार पारी खेली थी, लेकिन गांगुली का मानना है कि गिल को अब और ज़िम्मेदारी से खेलना होगा क्योंकि टीम का मिडिल और लोअर ऑर्डर अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर सका। उन्होंने यह भी कहा कि इतनी अच्छी शुरुआत के बाद टीम का 471 पर सिमट जाना चिंता की बात है और इसमें सभी वरिष्ठ खिलाड़ियों को आत्ममंथन करने की ज़रूरत है।
तो कुल मिलाकर, भारत की पारी चाहे अच्छी शुरुआत के बावजूद लड़खड़ा गई हो, लेकिन इंग्लैंड की वापसी और गांगुली जैसे अनुभवी खिलाड़ी की टिप्पणी बताती है कि यह सीरीज़ आगे बेहद रोमांचक होने वाली है।
शनिवार को दूसरे दिन के पहले घंटे में भारत ने खेल पर पूरी तरह नियंत्रण बनाए रखा था। इस दौरान दर्शकों को ऋषभ पंत की आक्रामक बल्लेबाज़ी का आनंद भी देखने को मिला, लेकिन जल्द ही इंग्लैंड ने वापसी करनी शुरू कर दी। शुभमन गिल, जिन्होंने 147 रनों की शानदार पारी खेली, अचानक ही एक गलत शॉट खेलकर आउट हो गए। इसके बाद भारत की पारी अचानक बिखर गई और टीम ने सिर्फ 41 रनों के अंदर 7 विकेट गंवा दिए। पूरी टीम 471 रनों पर सिमट गई, जोकि शुरुआत के लिहाज़ से कमज़ोर अंत माना जा सकता है।
भारतीय बल्लेबाज़ी के पतन के बाद बारिश ने खेल में थोड़ी देर के लिए खलल डाला। बारिश रुकने के बाद जब इंग्लैंड ने अपनी पारी की शुरुआत की, तो भारतीय गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह ने तुरंत प्रभाव डाला। 31 वर्षीय अनुभवी तेज़ गेंदबाज़ ने ज़ैक क्रॉली को जल्द पवेलियन भेजकर भारत को शुरुआती सफलता दिलाई और इंग्लैंड पर दबाव बनाने की कोशिश की।
हालांकि बुमराह की मेहनत को दूसरे गेंदबाज़ों से वैसा समर्थन नहीं मिला जिसकी जरूरत थी। इंग्लैंड के बल्लेबाज़ धीरे-धीरे सेट होते गए और भारत की गेंदबाज़ी में धार की कमी साफ नज़र आई। जिस समय भारत को लगातार विकेटों की ज़रूरत थी, उस वक्त गेंदबाज़ अपने मौके भुनाने में नाकाम रहे।
इस पूरे घटनाक्रम ने मैच को पूरी तरह संतुलन की स्थिति में ला दिया। जहां एक ओर भारत को 500 के करीब स्कोर खड़ा करना था, वहीं इंग्लैंड ने मानसिक तौर पर खुद को मज़बूत करते हुए वापसी की। जसप्रीत बुमराह जैसे खिलाड़ी के प्रयासों के बावजूद अगर टीम के अन्य सदस्य योगदान नहीं दे पाते, तो विपक्षी टीम को रोकना मुश्किल हो जाता है – और यही इस टेस्ट के दूसरे दिन साफ़ दिखाई दिया।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि तीसरे दिन भारत की गेंदबाज़ी इकाई खुद को कैसे संभालती है और क्या इंग्लैंड को बड़े स्कोर तक पहुंचने से रोक पाती है।
भारत बनाम इंग्लैंड मुकाबले पर सौरव गांगुली की प्रतिक्रिया: नो-बॉल्स ने बिगाड़ा बुमराह का खेल, ओली पोप की शतकीय वापसी
भारत और इंग्लैंड के बीच चल रहे टेस्ट मुकाबले में जहां एक ओर इंग्लैंड के बल्लेबाज़ ओली पोप ने धीमी शुरुआत के बाद लय पाई और लगातार दूसरी टेस्ट सेंचुरी पूरी की, वहीं दूसरी ओर भारत के तेज़ गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह ने दो बार मैच का रुख बदलने की कोशिश की — लेकिन दुर्भाग्यवश दोनों बार नो-बॉल्स ने उनका खेल बिगाड़ दिया।
शुरुआत में जब इंग्लैंड का स्कोर अस्थिर था, तब ओली पोप ने धैर्य से खेलते हुए जैसे ही गेंद थोड़ी नरम हुई और पिच में बैटिंग आसान हुई, अपनी क्लास दिखाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे रन गति बढ़ी और उन्होंने शानदार तरीके से एक और टेस्ट शतक जड़ दिया। उनकी यह पारी इंग्लैंड की वापसी का आधार बनी।
वहीं भारत के लिए जसप्रीत बुमराह ने दो बार उम्मीद जगाई। पहले उन्होंने जो रूट को एक तेज़ उछालभरी गेंद पर गलती करने के लिए मजबूर किया और फिर हैरी ब्रूक को भी एक शार्प डिलीवरी पर आउट किया। दोनों मौकों पर भारतीय फील्डर्स और टीम ने जश्न भी मनाया — लेकिन रिव्यू में यह सामने आया कि बुमराह ने दोनों बार नो-बॉल फेंकी थी, जिससे दोनों विकेट रद्द हो गए।
इस पर सौरव गांगुली ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “ऐसे मौकों पर नो-बॉल फेंकना न केवल गेंदबाज़ की गलती है, बल्कि टीम के लिए बड़ा झटका भी होता है। बुमराह जैसे अनुभवी गेंदबाज़ से यह अपेक्षा नहीं की जाती।” गांगुली का मानना है कि टेस्ट मैच में इस तरह की गलतियाँ टीम का पूरा संतुलन बिगाड़ सकती हैं।
गांगुली ने साथ ही इंग्लिश बल्लेबाज़ों की तारीफ करते हुए कहा कि पोप ने परिस्थितियों को बहुत अच्छे से पढ़ा और उसी के अनुसार खुद को ढाला। भारत को अगर वापसी करनी है तो ना केवल सटीक गेंदबाज़ी करनी होगी बल्कि मौके भी पूरी तरह भुनाने होंगे।
अंततः जब दूसरे दिन का खेल समाप्त हुआ, तो इंग्लैंड का स्कोर 209/3 था। भारतीय गेंदबाज़ी में जसप्रीत बुमराह ने शानदार प्रयास किया, लेकिन उन्हें अन्य गेंदबाज़ों से वह सहयोग नहीं मिला जिसकी इस स्तर के मुकाबले में ज़रूरत होती है। बुमराह ने अपने स्पेल के दौरान कई मौके बनाए, लेकिन नो-बॉल और कमजोर सपोर्ट के चलते भारत इंग्लैंड पर पूरा दबाव नहीं बना पाया।
इसी बीच, भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने मैच को लेकर PTI (प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया) से बातचीत में अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भारत अब भी एक मज़बूत स्थिति में है, और अगर बल्लेबाज़ी में थोड़ी और गहराई दिखाई जाए तो टीम 600 रन तक पहुंच सकती है।
गांगुली ने कहा:
“कोई यह उम्मीद नहीं करता कि हेडिंग्ले की पिच इतनी सूखी होगी। लेकिन अगर भारत 600 के करीब पहुंच जाता है, तो विकेट धीरे-धीरे टूटने लगेगी और उछाल असमान हो सकता है।”
इस बयान से साफ है कि गांगुली का मानना है कि पिच समय के साथ बल्लेबाज़ों के लिए चुनौतीपूर्ण होती जाएगी, और भारत को इस हालात का फायदा उठाने की ज़रूरत है। उन्होंने इंग्लैंड के बल्लेबाज़ों की तारीफ करते हुए यह भी जोड़ा कि अगर भारत को बढ़त बनानी है तो गेंदबाज़ों को संयम और अनुशासन के साथ हर मौके का पूरा इस्तेमाल करना होगा।
गांगुली के अनुसार, 600 रन का स्कोर सिर्फ मनोवैज्ञानिक बढ़त ही नहीं देता, बल्कि दूसरी पारी में पिच की असमान उछाल और स्पिन की भूमिका भी निर्णायक साबित हो सकती है। यह भारत के गेंदबाज़ों के लिए फायदेमंद स्थिति होगी, बशर्ते कि वे विकेट लेना जारी रखें और नो-बॉल जैसी बेसिक गलतियाँ न करें।
सौरव गांगुली ने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए यह भी जोड़ा कि भारत को यह मैच हर हाल में जीतना चाहिए, क्योंकि ऐसी परिस्थितियाँ बार-बार नहीं मिलतीं। उन्होंने कहा:
“भारत को यह मुकाबला जीतना ही होगा, क्योंकि इस तरह का मौका फिर शायद न मिले।”
गौतम गंभीर की चयन नीति पर भड़के सौरव गांगुली, बोले – “मैं होता तो अर्शदीप को खिलाता”
भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही टेस्ट सीरीज़ को लेकर जहां मैदान पर मुकाबला रोमांचक हो रहा है, वहीं मैदान के बाहर भी दिग्गजों की प्रतिक्रियाएं चर्चा में हैं। सौरव गांगुली ने इस बार गौतम गंभीर की टीम चयन नीति पर सवाल उठाए हैं, खासतौर पर प्रसिद्ध कृष्णा को टीम में शामिल करने के फैसले पर।

गांगुली ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह गंभीर की इस चयन रणनीति से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि इस परिस्थिति में अर्शदीप सिंह को मौका दिया जाना चाहिए था। बाएं हाथ के गेंदबाज़ होने के कारण वह बल्लेबाज़ों को अलग एंगल से चुनौती दे सकते थे, जो इंग्लैंड के खिलाफ फायदेमंद साबित हो सकता था।
गांगुली ने कहा:
“कुलदीप धीरे-धीरे खेलेंगे। सीरीज़ लंबी है। मैं होता तो अर्शदीप को खिलाता। क्योंकि वो लेफ्ट-हैंडर हैं और उनका एंगल अलग होता है। लेकिन ठीक है, ये सब अच्छे खिलाड़ी हैं।”
इस बयान में जहां गांगुली ने अपनी पसंद को साफ तौर पर बताया, वहीं उन्होंने टीम के बाकी खिलाड़ियों की क्षमता पर भी भरोसा जताया। हालांकि उनका यह संकेत स्पष्ट है कि वह चयन को लेकर थोड़े असंतुष्ट हैं और मानते हैं कि टीम संयोजन में बदलाव होना चाहिए था।
यह पहली बार नहीं है जब पूर्व कप्तान ने चयन नीति पर अपनी राय दी हो। गांगुली हमेशा से तेज़ गेंदबाज़ी को विविधता और परिस्थितियों के अनुसार ढालने की वकालत करते आए हैं। अर्शदीप जैसे गेंदबाज़, जो स्विंग और विविधता लाते हैं, विदेशी पिचों पर अहम भूमिका निभा सकते थे — खासकर तब, जब इंग्लैंड जैसी टीम सामने हो।
शुभमन गिल को सौरव गांगुली की चेतावनी: “अभी पहला टेस्ट है, लेकिन सीखना ज़रूरी है”
पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने जहां एक ओर गौतम गंभीर की चयन नीति पर सवाल उठाए, वहीं दूसरी ओर उन्होंने मौजूदा टेस्ट कप्तान शुभमन गिल को भी एक महत्वपूर्ण चेतावनी दी है। गांगुली ने इंग्लैंड की गेंदबाज़ी रणनीति का विश्लेषण करते हुए गिल की बल्लेबाज़ी को लेकर एक तकनीकी बिंदु पर ध्यान खींचा।
गांगुली ने कहा कि इंग्लैंड के गेंदबाज़ों ने गिल के खिलाफ बार-बार छोटी लेंथ (शॉर्ट बॉल्स) का इस्तेमाल किया, खासकर पहले दिन के दूसरे सत्र में। उन्होंने यह भी महसूस किया कि इंग्लैंड की बॉलिंग यूनिट का यह प्लान गिल के खिलाफ जानबूझकर अपनाया गया था — ताकि उन्हें पुल या हुक खेलने के लिए मजबूर किया जाए और गलती करवाई जा सके।
“मुझे लगता है उन्होंने ज़्यादा शॉर्ट गेंदबाज़ी की। कल के आधे हिस्से में तो सिर्फ गिल के लिए शॉर्ट बॉल्स ही डाली जा रही थीं,” गांगुली ने कहा।
हालांकि, उन्होंने इंग्लैंड के गेंदबाज़ों की आलोचना नहीं की, बल्कि यह बताया कि वो भी इस सीरीज़ से सीखेंगे। गांगुली ने कहा:
“कोई बात नहीं, वो सीखेंगे। अभी तो पहला टेस्ट ही है।”
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लेकिन उनके इस बयान में छिपा गिल के लिए इशारा साफ था — कि बतौर कप्तान और टॉप ऑर्डर बल्लेबाज़, उन्हें इन रणनीतियों के खिलाफ खुद को बेहतर ढंग से तैयार करना होगा। गांगुली का यह भी संकेत था कि आगे की पारियों में विपक्षी टीमें गिल को ऐसे ही टेस्ट करेंगी, और ऐसे में उनके पास पलटवार करने की योजना होनी चाहिए।
निष्कर्ष:
सौरव गांगुली की यह चेतावनी शुभमन गिल के लिए एक अहम संकेत है कि कप्तानी के साथ जिम्मेदारी और रणनीतिक समझ भी ज़रूरी है। विरोधी गेंदबाज़ों की चालों को समझना और उनका जवाब तैयार रखना ही किसी टेस्ट कप्तान को मैदान पर सफल बनाता है — और गिल को इसी दिशा में आगे बढ़ने की सलाह दी गई है।