राजमाता जिजाबाई पुण्यतिथि विशेष: मातृत्व, राष्ट्रधर्म और मराठा गौरव की अमर प्रतिमा

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Rajmata Jijabai Punyatithi 2025

जब एक माँ ने इतिहास रचा

“राजा को जन्म देना एक स्त्री का काम हो सकता है, लेकिन एक राजधर्म निभाने वाले राजा को गढ़ना, केवल एक ‘राजमाता’ कर सकती है।”

मराठा साम्राज्य का निर्माण कोई एक दिन की घटना नहीं थी। यह उस विचार, प्रेरणा, और त्याग का परिणाम था जिसे एक माँ ने अपने पुत्र में रोपा। वह माँ कोई साधारण स्त्री नहीं थीं—वे थीं राजमाता जिजाबाई, छत्रपति शिवाजी महाराज की जननी, मराठा स्वराज्य की प्रेरणास्त्रोत, और एक ऐसी स्त्री जिनका व्यक्तित्व भारत के इतिहास में अमर है।


🧬 जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि

  • जन्म तिथि: 12 जनवरी 1598
  • स्थान: सिंधखेड राजा (बुलढाणा, महाराष्ट्र)
  • पिता: लक्ष्मणराव जाधव, अहमदनगर के निजामशाही दरबार के प्रतिष्ठित सरदार
  • वंश: जाधव राव वंश (भोंसले राजवंश से संबंध)

जिजाबाई बचपन से ही अत्यंत तेजस्वी, धर्मपरायण और नीतिनिष्ठ थीं। उनकी शिक्षा धार्मिक ग्रंथों, नीति शास्त्र और युद्धनीति से हुई थी। वे एक साथ धार्मिकता और शौर्य की प्रतिमूर्ति थीं।


💍 शादी और संघर्षों की शुरुआत

13 वर्ष की उम्र में जिजाबाई का विवाह हुआ शहाजी भोंसले से, जो बीजापुर सल्तनत के अधीन एक प्रमुख सरदार थे। विवाह के बाद का जीवन अधिकतर संघर्षपूर्ण रहा। शहाजी के राजनीतिक संबंधों के कारण जिजाबाई को कई बार अलगाव सहना पड़ा।

इस दौर में उन्होंने स्वतंत्र मातृत्व की कठिन परीक्षा दी—बिना पति के, अकेले पुत्र को पालना, उसे संस्कारित करना और समय-समय पर प्रशासनिक निर्णय भी लेना।


🧒 शिवाजी के जीवन में जिजाबाई की भूमिका

छत्रपति शिवाजी महाराज का व्यक्तित्व जितना प्रेरणादायक है, उतनी ही प्रेरणादायक उनकी माँ का योगदान है।

📘 क्या दिया जिजाबाई ने शिवाजी को:

  • धार्मिक शिक्षा: रामायण, महाभारत, भगवद गीता, संत ज्ञानेश्वर और संत तुकाराम के उपदेश
  • नीतिशास्त्र: चाणक्य नीति, युद्ध कौशल, राज्य प्रशासन
  • नैतिकता: “प्रजा ही परमेश्वर है” जैसी भावना
  • स्वराज्य का सपना: एक ऐसा हिंदवी साम्राज्य जहाँ हिंदू संस्कृति और जनता को स्वतंत्रता मिले

“जिजाबाई ने शिवाजी को केवल जन्म नहीं दिया, उन्होंने स्वराज्य को जन्म दिया।”


⚔️ मराठा स्वराज्य की नींव रखने वाली स्त्री

जब शिवाजी किशोर थे, जिजाबाई ने उन्हें प्रेरित किया कि वे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं। तोरणा, रायगढ़, सिंहगढ़ जैसे किलों की विजय का श्रेय जितना शिवाजी को जाता है, उतना ही राजमाता के मार्गदर्शन को भी।

वे हमेशा कहती थीं:

“एक राजा केवल तलवार से नहीं, नीति और धर्म से बनता है।”

राजमाता की दृढ़ इच्छाशक्ति ने शिवाजी को हमेशा सही मार्ग पर रखा—चाहे अफजल खान से सामना हो या औरंगज़ेब की चालें।


🏰 रायगढ़ का राज्याभिषेक: जिजाबाई की सबसे बड़ी विजय

वर्ष 1674 में जब छत्रपति शिवाजी का रायगढ़ किले पर राज्याभिषेक हुआ, वह केवल एक औपचारिकता नहीं थी। यह एक माँ के स्वप्न की पूर्ति थी।

राजमाता ने स्वयं पुरोहितों को बुलाया, संस्कारों की व्यवस्था की और अपने पुत्र को ‘हिंदवी स्वराज्य’ का प्रथम छत्रपति बनते देखा।

राज्याभिषेक के कुछ ही दिनों बाद, 17 जून 1674 को, राजमाता जिजाबाई का देहांत हो गया। वे अपना लक्ष्य पूर्ण करके इस संसार से विदा हुईं।


🕊️ मृत्यु: एक युग का अंत

17 जून 1674 को जब राजमाता जिजाबाई ने अंतिम सांस ली, तो पूरे रायगढ़ किले में शोक छा गया। शिवाजी महाराज के लिए यह उनके जीवन की सबसे बड़ी क्षति थी। उस दिन मराठा साम्राज्य ने केवल एक माँ को नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक को खो दिया।

उनकी समाधि रायगढ़ किले पर स्थित है और आज भी श्रद्धालु वहां जाकर नमन करते हैं।


🌼 समकालीन सम्मान और प्रेरणा का स्रोत

राजमाता जिजाबाई को आज भी महाराष्ट्र, भारत और भारतीय नारीशक्ति का प्रतीक माना जाता है।
उनके नाम पर:

  • राजमाता जिजाबाई मेडिकल कॉलेज, औरंगाबाद
  • राजमाता जिजाबाई चिल्ड्रेन पार्क, मुंबई
  • मुंबई का जिजामाता उद्यान
  • हजारों स्कूल और कॉलेज

उनकी जीवनगाथा पर आधारित मराठी नाटक, टेलीविजन धारावाहिक और फिल्मों का निर्माण हुआ है।


📣 राजनीतिक और सामाजिक संदेश

जिजाबाई की सीख आज की महिलाओं, नेताओं, अभिभावकों और युवाओं के लिए अमूल्य है।

स्तंभजिजाबाई का संदेश
मातृत्वबच्चों में संस्कृति व कर्तव्य का बीजारोपण करें
राजनीतिधर्म आधारित और नैतिक राजनीति हो
नारीशक्तिस्त्रियाँ सिर्फ पालनकर्ता नहीं, राष्ट्र निर्माता होती हैं
प्रबंधनसंकट में भी धैर्य और नीति से काम लें

🗣️ जिजाबाई के 5 प्रसिद्ध कथन (Quotes)

  1. “जो तलवार सत्य और धर्म के लिए उठे, वही तलवार पुण्य है।”
  2. “राजा वही है जो प्रजा को ईश्वर की तरह देखे।”
  3. “त्याग के बिना धर्म नहीं और धर्म के बिना राज्य नहीं।”
  4. “माँ का पहला कर्तव्य है पुत्र को पुरुषार्थ की राह पर चलाना।”
  5. “स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, और हम इसे लेकर रहेंगे।”

🪔 श्रद्धांजलि संदेश (Social Media के लिए)

“मराठा साम्राज्य की नींव, हिंदवी स्वराज्य की जननी, और मातृत्व की अमर मूर्ति—राजमाता जिजाबाई जी को उनकी पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन।”
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📷 वेब स्टोरी / पोस्टर कैप्शन सुझाव:

  • “जिस माँ ने एक राजा नहीं, स्वराज्य को जन्म दिया—राजमाता जिजाबाई”
  • “राजनीति, धर्म, और मातृत्व का संगम थीं जिजाबाई”
  • “स्वराज्य का सपना जिजाबाई की गोद में पला”

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🏁 निष्कर्ष: क्यों जिजाबाई हर कालखंड में प्रासंगिक हैं

राजमाता जिजाबाई केवल मराठा इतिहास की पात्र नहीं हैं, वे भारत के वैचारिक, सांस्कृतिक और नैतिक इतिहास की धरोहर हैं। उनका जीवन बताता है कि जब कोई स्त्री दृढ़ निश्चयी होती है, तो वह इतिहास को नई दिशा दे सकती है।

आज जब भारत आत्मनिर्भरता, नारीशक्ति और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की राह पर है, तो राजमाता जिजाबाई की शिक्षाएं और जीवनदर्शन पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हैं।

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