‘राणा नायडू सीज़न 2’ रिव्यू: एक जबरदस्त वापसी, लेकिन भावनात्मक गहराई में चूक

नेटफ्लिक्स की चर्चित क्राइम-थ्रिलर सीरीज़ ‘राणा नायडू’ का दूसरा सीज़न एक बार फिर से एक्शन, गाली-गलौज और पारिवारिक तनावों से भरपूर वापसी करता है। राणा डग्गुबाती और वेंकटेश जैसे दिग्गज अभिनेताओं की मौजूदगी सीज़न 2 को दमदार बनाती है, लेकिन इस बार कहानी भावनात्मक जुड़ाव में कुछ कमज़ोर नजर आती है।
🌟 कहानी का सारांश
राणा नायडू (राणा डग्गुबाती) अब अपनी ‘फिक्सर’ वाली जिंदगी को पीछे छोड़ कर एक शांत पारिवारिक जीवन जीना चाहता है। लेकिन यह सुकून ज्यादा देर टिक नहीं पाता, जब उसका बेटा अगवा हो जाता है। इस मुश्किल घड़ी में उसकी मदद करता है अरबपति विक्रम ओबेरॉय (रजत कपूर), जो बेटे को तो वापस दिलवा देता है — लेकिन इसके बदले में राणा से अपने निजी काम करवाने की मांग करता है।
इनमें से एक काम है अपनी बेटी आलिया (कृति खरबंदा) की मदद करना, जो एक क्रिकेट टीम खरीदना चाहती है। वहीं दूसरी ओर, रऊफ भाई (अर्जुन रामपाल), जो अब जेल से छूट चुका है, बदले की आग में जल रहा है और राणा के लिए नई मुश्किलें खड़ी करता है।
राणा की शादी भी बिखरने की कगार पर है और उसका अपने पिता नागा नायडू (वेंकटेश) से रिश्ता अभी भी तनावपूर्ण बना हुआ है।
🎭 अभिनय की समीक्षा
- राणा डग्गुबाती ने इस सीज़न में ज़्यादा संवेदनशील और अंदरूनी तौर पर टूटे किरदार को निभाया है। उनकी एक्टिंग में इस बार गहराई नज़र आती है।
- वेंकटेश एक बार फिर अपने चटपटे और बेबाक अंदाज़ में नज़र आते हैं, लेकिन उनके और राणा के बीच की जटिलता इस सीज़न में पूरी तरह से नहीं उभर पाई।
- रजत कपूर एक सूझबूझ वाले लेकिन चालाक बिज़नेसमैन की भूमिका में शानदार हैं।
- अर्जुन रामपाल की एंट्री शो में नया ट्विस्ट लाती है और उनका कूल लेकिन खतरनाक अवतार कहानी में रोमांच भरता है।
- कृति खरबंदा भी अपनी सीमित भूमिका में प्रभावशाली हैं।
🎬 निर्देशन और तकनीकी पक्ष
करण अंशुमान और सुपर्ण वर्मा के निर्देशन में इस सीज़न की कहानी और विज़ुअल्स पहले से ज्यादा रिच और स्टाइलिश लगते हैं। लेकिन स्क्रिप्ट की गति कहीं-कहीं सुस्त हो जाती है।
सीरीज़ की सिनेमैटोग्राफी और लोकेशन — खासकर हैदराबाद और मुंबई की गलियाँ — कहानी को जीवंत बनाते हैं।
बैकग्राउंड म्यूज़िक कहानी के तनाव को बनाए रखने में कामयाब होता है।
🔍 मुख्य थीम: पारिवारिक संकट और पर्सनल मोर्चे
इस बार राणा की लड़ाई सिर्फ बाहरी खतरों से नहीं, बल्कि अपने टूटते रिश्तों, खराब होती शादी और पिता से बने हुए तनाव से भी है। शो में यह दिखाने की कोशिश की गई है कि जब ज़िंदगी में सब कुछ हाथ से निकलता जा रहा हो, तब आदमी किस तरह का रास्ता चुनता है — बदले का, समझौते का या फिर redemption का।
📉 कमज़ोर पहलू
- कहानी कई जगहों पर असंतुलित हो जाती है — कभी बहुत तेज़ तो कभी बहुत धीमी।
- राणा और नागा के बीच का भावनात्मक संघर्ष पूरी तरह से प्रभावशाली नहीं हो पाया।
- सेकेंडरी कैरेक्टर्स को पर्याप्त स्क्रीनटाइम नहीं मिला।
- कुछ डायलॉग्स और घटनाएं पहले सीज़न जितनी प्रभावशाली नहीं लगतीं।
✅ क्यों देखें ये सीज़न?
- अगर आप क्राइम ड्रामा, हाई-वोल्टेज फैमिली ड्रामा और डार्क किरदारों से भरी सीरीज़ देखना पसंद करते हैं, तो यह सीज़न जरूर देखें।
- राणा डग्गुबाती और वेंकटेश की दमदार परफॉर्मेंस एक बड़ा प्लस पॉइंट है।
- सिनेमैटोग्राफी और म्यूज़िक शो को एक प्रीमियम लुक देते हैं।
🌟 रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐☆ (4/5)
📝 निष्कर्ष
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‘राणा नायडू सीज़न 2’ एक पावरफुल वापसी करता है, जहां रिश्ते, बदला और वफादारी के बीच संघर्ष देखने को मिलता है। हालांकि यह सीज़न इमोशनल कनेक्ट और भावनात्मक गहराई में थोड़ा पीछे रह जाता है, लेकिन अपनी स्टाइल, एक्टिंग और क्राइम एंगल के कारण दर्शकों को बांधे रखता है।